एक दिन मेरी क़लम ,
पन्ने और मेरे
अंदर की
लेखिका
कहीं खो गई .
पूछा अपने आप से –
क्या यह राइटर्स ब्लाक है
या कुछ और ?
बड़े जद्दोजहद
के बाद समझ आया .
दरअसल सच्चे जज़्बात, दुनियादारी
के तले दबने लगते हैं.
दुनियादारी या
सच्चे जज़्बातों
की
अभिव्यक्ति में किसी
एक का हीं अस्तित्व संभव है .
अपने आप को वापस पास लिया …..
यह मेरा नया जन्म दिन है.

Great post and janam din mubarak ho
Thanks for sharing.
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आभार. वह एक लेखिका का जन्मदिन है.
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जय हो
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आभार .
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Lovely write
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Thank you 😊
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You are welcome
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बिल्कुल सही बात है यह रेखा जी । दुनियादारी और सच्चे जज़्बात में से किसी एक ही का कायम रहना मुमकिन है । दोनों एक साथ रह ही नहीं सकते ।
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हाँ, तह दुविधा वाली स्थिति होती है.
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दरअसल सच्चे जज़्बात, दुनियादारी
के तले दबने लगते हैं.
बहुत ही सही कहा।
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आभार मधुसूदन .
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