बड़े सिद्दत से, संजीदगी से ,
यादों को क़ैद कर रही थी .
मन में, ख़यालों में,
कुछ नई यादों में भी.
जब लगा कुछ मीठी सी
जमा हो चुकी
है यादे .
तब समझ आया
नहीं क़ैद मेरे पास कुछ भी .
मैं हीं क़ैद हूँ यादों में.

बड़े सिद्दत से, संजीदगी से ,
यादों को क़ैद कर रही थी .
मन में, ख़यालों में,
कुछ नई यादों में भी.
जब लगा कुछ मीठी सी
जमा हो चुकी
है यादे .
तब समझ आया
नहीं क़ैद मेरे पास कुछ भी .
मैं हीं क़ैद हूँ यादों में.

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Thank you 😊
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बढ़िया ! हमारा दर्शन भी तो कहता है दुनिया हमारे भीतर उसी तरह रहती है जैसे हम दुनिया में । एक रास्ता पूरब ने निकाला दूसरा पश्चिम ने ।पर सच तो एक ही है अनंत और शाश्वत !
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बहुत गहरी बातें करती हो. अच्छा लगा विचार पढ़ कर.
शुक्रिया .
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kya khub kaha……umda.
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Dhanyawad sir !
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Jab kuchh apne jaisa padhne ko milta hai sach me bhot achha lgta h !! Baki aapne buddha par likhne ka wada kiya tha…Intjar rhega!
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बुद्ध पर तो लिखने की चाहत तो है. पर अभी कुछ उलझी हूँ. तुम तो बुद्ध, लिख सकती हो. इसी बहाने Internet पर उनके बारे में पढ़ भी लोगी.
तुम अभी student हो क्या ?
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Achha …Likh to skti hu…Par shayd aapse janu to mja bhi ayega …Khair koshish krungi.padh bhi lungi ye b h…Par aap apna najariya bhi btana …Main PhD kar rhi hu ma’am!!…Aap ?
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तुम लिखो, मैं quotes डालूँगी और थोड़े दिनो में लिखूँगी. किस में PhD कर रही हो किस uni से ?
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Hindi se kar rhi ma’am university of Delhi se … Bilkul ma’am likhti hu phir
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Great, मुझे लगा था .literature हीं तुम्हारा विषय होगा. ज़रूर लिखो .
तुम्हारा topic क्या है?
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Pauranik charitron par kam kar rhi ma’am
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बहुत अच्छा .
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