एक बेमानी सा दिन …तारीख़….
ज़िंदगी से कैसे इतने गहरे जुट जाता है ?
और याद आता है वह दिन, हर दिन ?
क्यों यादों के साथ गाँठ
बाँध लेती है ये ?
लगता है
ज़िंदगी के कैलेंडर से
कुछ पन्ने हट जायें….
ग़ायब हो जायें…….
तो शायद सुकून मिले .

एक बेमानी सा दिन …तारीख़….
ज़िंदगी से कैसे इतने गहरे जुट जाता है ?
और याद आता है वह दिन, हर दिन ?
क्यों यादों के साथ गाँठ
बाँध लेती है ये ?
लगता है
ज़िंदगी के कैलेंडर से
कुछ पन्ने हट जायें….
ग़ायब हो जायें…….
तो शायद सुकून मिले .

👌well written 👍
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Thank you.
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Yeah… we want some memories to be eradicated from our heart and mind… Very nice creation indeed… 🙂
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Thank you Ashish.
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Nice Click of Photo
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thank you.
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बे ने पकड़ा है मन को
मन ने पकड़ा है हम को
दोहरा है जोड़ यह देखो
ज़रा मेहनत लगेगी ज़्यादा
अगर है इससे पीछा छुड़ाना
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वाह !!!! बहुत ख़ूब , बेमन का नया अर्थ और आपकी पंक्तियाँ अच्छी लगी . शुक्रिया
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Beautifully written
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Thank you dear.
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