ज़िंदगी के रंग – 58

मुश्किलों को हराते हैं…

चलो..थोड़ा मुस्कुराते हैं…

– अज्ञात

खामोश ख्याल

कहते हैं लफ्ज़ों से अधिक

असर खामोशी में हैं।

पर सुनता हीं कौन है

खामोश ख्यालों… को?

You can

If you can dream it,

you can achieve it.

 

~Zig Ziglar

Love & Beauty

Let the beauty of

what you love

be what you do.

 

❤ ❤  Rumi.

रेत की घड़ी

वक्त फिसलता है

रेत की तरह,

कितना  भी पकङो

मुट्ठी मे  या रेत घड़ी में।

नदी के जल में हो

या

रेगिस्तान के बालुका ढेर में  हो।

सरक हीं जाता है जकङ से।

रेत हो या वक्त

बस रह जाती हैं यादें  !!!!!!

नदी के दो किनारे की तरह होते हैं कुछ रिश्ते

 

Posted by Ranjeeta2018 — March 22, 2018 in 

नदी के दो किनारे की तरह होते हैं कुछ रिश्ते

नदी के दो किनारे की तरह
होते हैं कुछ रिश्ते
थोड़े बेबुन्यादी, तो कुछ कच्चे-पक्के
से होते हैं ये रिश्ते
कुछ तूफानी, कुछ सरल
थोड़े बेगानी, थोड़े मतलबी
तो कुछ वक्त के साथ बदलते
हैं ये रिश्ते
नदी के दो किनारे की तरह
होते हैं कुछ रिश्ते…

कहीं गहरे, कहीं उथले
कहीं ज़िन्दगी का मुख मोड़ते
नगर, गाँव, दिल को जोड़ते
चपल, चंचल, तीव्र, या फिर
बरसाती झरने से होते हैं रिश्ते
कभी चट्टान से अचल
तो कभी कच्चे धागे से कमज़ोर होते हैं रिश्ते
नदी के दो किनारे की तरह
होते हैं कुछ रिश्ते…

निरंतर प्रवाह से कुछ लम्बे
समय तक चलते हैं
तो कुछ बीच में ही दम तोड़ देते हैं
कुछ तट की सीमा पार कर
सैलाब ले आते हैं
तो कुछ विश्वास के आभाव में
सिकुड़ कर मर जाते हैं ये रिश्ते
नदी के दो किनारे की तरह
होते हैं कुछ रिश्ते…

जीवन चलता है मात्र रिश्तों पर
और जीव जीता है मात्र जल पर
जैसे-जैसे जीवन से लोग जुड़ जाते हैं
कुछ निर्जीव तो कुछ सजीव
बेनाम रिश्ते पनप जाते हैं
कुछ यादों के तानो बानो में उलझे होते हैं
कोई कठोर, कोई नरम, कोई कडवे, कोइ मधुर
तो कोई नदी के दो किनारे की तरह
होते हैं कुछ रिश्ते
नदी के दो किनारे की तरह
होते हैं कुछ रिश्ते…

कुछ कांच से टूट कर बिखर जाते हैं
कुछ चुटकी भर सिन्दूर से जुड़ जाते हैं
अपनापन का मुखोटा पहने
भावनाओं के चक्रव्यूह में फस जाते हैं ये रिश्ते
मानो या न मानो पर अपनी अलग पहचान,
अलग परिभाषा बनाते हैं ये रिश्ते
कभी एकतरफा तो कभी दो तरफ़ा होते हैं ये रिश्ते
कभी खूबसूरत, कभ निशब्द तो कभी बनावटी होते हैं ये रिश्ते
नदी के दो किनारे की तरह
होते हैं कुछ रिश्ते…

Touch the sun

Don’t sit and wait.

Get out there,

feel life.

Touch the sun,

and immerse in the sea.

 

❤ ❤ Rumi

Why Are We Ashamed Of Our Mental Health?

जिंदगी के रंग -57

मन के अंदर के मन ने कितना पुकारा….

आवाज़ें दीं ……।

धूप खिली , रात ढली ,

सर्द-गर्म मौसमों की महफ़िलें बदली …

ख़्वाहिशों – ख्वाबों की मुस्कान में जिंदगी बीत चली।

जब अंतर्मन की आवाज़ सुनी

लगा अंधेरे में…..

ज़िंदगी में ही तरस रहे थे  ज़िंदगी के लिए…।

ख़ुद ही ख़ुद को समझाना,

 मन के भीतर के मन की

आवाज़ें सुनना कितना जरुरी है,

तब यह बात समझ आई।

 

 

कविता की प्रेरणा के लिये आभार – https://sacredheartwords.wordpress.com

Earth Hour