चेहरे पर स्टैम्प क्यों ?? Stamped faces

News

Bhopal – Faces of the children were reportedly stamped by the jail authorities in a bid to distinguish them from the children of the women inmates.

भोपाल सेंट्रल जेल में बंद अपने पिता से मुलाकात करने गए दो बच्चों के चेहरे पर मुहर लगाए  गये।

 

क्या हम मशीन बन गये है ?

और काग़ज़ समझ रखा है ,

इन मासूम नाजुक चेहरों को ?

जो हथेली पर लगने वाले स्टैम्प

 इनके गालों पर लगा दिया ?

त्योहार के दिन जेल में अपनों

से मिलने जाने की यह क्रूर सजा क्यों ?

शायद लोगों में मानवता …..बची ही नहीँ

 या यह शक्ति – ओहदे  का मद है ?

या मजाक करने का पीड़ादायक तरीका ??

क्या उनके बच्चों के साथ

 ऐसा किया जाना पसंद  आयेगा उन्हे ?

 

 

Trust

 

Never trust someone
who let you down more
than twice…..
Once was a warning,
Twice was a lesson,
And anything more than that,
is simply Taking advantage………

जिंदगी

लगता है जिंदगी कुछ खफा है
छोङिये कौन सी यह पहली द़फा है?

गुलजार

जिंदगी के रंग -23

अहले सुबह जिंदगी आई कुछ मसले व परेशानियाँ ले कर ।
शाम ढले चौखट पर खङी थी मुस्कुराती
अौर पूछ बैठी –
दर्द हुआ क्या?
चोट

लगी क्या?

जवाब दिया – 

बिना कसूर के मिली सजा,
दर्द तो बङा देती है
पर, तुझसे क्या शिकायत ऐ जिंदगी ???
तु तो रंग दिखा रही है…..
सबक अौ तजुर्बे सीखा रही है।

Living in the heart

 

Sit with Lovers

and choose their state.

Do not stay long

with those who are

not living in the heart.

                                                                 ~ Beloved Rumi ~ ❤️❤️

रक्षाबंधन की कहानी   (Rakhi -celebration of brother and sister love)

राखी का त्योहार लक्ष्मी जी ने दानव राज बाली को राखी बाँध कर शुरू किया था. दानव राज राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहें थे. नारायण ने राजा बालि की बढ़ती शक्ति को नियंत्रित करने के लिये वामन/ बौना अवतार लिया. बाली दानी राजा था. नारायण ने वामन बन बाली से दान में तीन पग या तीन क़दम धरती माँगी. बाली ने वामन का छोटा आकार देख हामी भर दी. तब नारायण ने विराट रुप ले कर तीन पग में उसकी सारी धरती नाप ली और बाली को पाताल लोक का राज्य रहने के लिये दें दिया l

rakhi

चतुर बाली ने नारायण की बात मानते हुए अपनी एक कामना पूरी करने का वचन तीन बार – त्रिवाचा लिया. नारायण अपनी सफलता से प्रसन्न हो तीन बार बाली से कह बैठे – “दूँगा दूँगा दूँगा”. तब बलि ने नारायण से कहा – ” मेरे सोने और जागने पर जिधर भी मेरी दृष्टी जाये उधर आप ही नजर आयें. वचनबद्ध नारायण बाली के जाल में फँस चुके थे. वे वहीँ वास करने लगे.

काफी समय तक नारायण के ना लौटने पर लक्ष्मी जी को चिंता हुई. उन्हों ने घुम्मकड नारद जी पूछा -“आप तो तीनों लोकों में घूमते हैं क्या नारायण को कहीँ देखा हैं ?”नारद जी बताया , नारायण तो पाताल लोक में हैं राजा बलि के पहरेदार बन गये हैं. चिंतित और व्यथित लक्ष्मी जी के पूछने पर नारद ने उन्हें राजा बलि को अपना भाई बना रक्षा बंधन बाँध, रक्षा का वचन लेने की सलाह दी. उससे त्रिवचन लेने कहा और रक्षा बंधन के उपहार स्वरूप नारायण को माँगने का सुझाव दिया.

लक्ष्मी सुन्दर नारी बन रोते हुये बलि के पास गई. बाली के पूछने पर उन्हों ने उत्तर दिया -” मेरा कोई भाई नहीँ हैं, जो मेरी रक्षा करे. इसलिए मैं दुखी हूँ .द्रवित हो बलि उन्हें अपनी धर्म बहन बना लिया. उपहार में लक्ष्मी ने जब उसके पहरेदार को माँगा, तब बाली को सारी बातें समझ आई. पर बाली ने वचन का मान रख लक्ष्मी को बहन बनाया और उपहार में नारायण को लौटाया. तब से रक्षाबन्धन का त्योहार शुरू हुआ. आज़ भी जानकार कलावा बाँधते समय यह मंत्र बोलते हैं –

“येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल:”

जैसे महाबली दांनवेंद्र बाली ने वचन का सम्मान कर रक्षा किया, वैसे तुम मेरी रक्षा करो, रक्षा करो. बाली ने दानव होते हुए रिश्ते का मान रखा.

 

 

 

Source: रक्षाबंधन की कहानी   (Rakhi -celebration of brother and sister love)

Happy friendship day blogger buddies !!!!

जिंदगी के रंग -22

 

अपने लिखे शब्दों को वाह वाही

देने वालों को देख कर समझ आया –

ये भी जिंदगी के उस दौर से गुजरे है।

जहाँ यह रंग दिखाती है।

Forgive but do not forget

 

Forgive but do not forget,

or you will be hurt again.

Forgiving changes the perspectives.

Forgetting loses the lesson.”

― Paulo Coelho

मोती Pearl

 

Pearls are formed inside the shell of certain mollusks as a defence mechanism against a potentially threatening irritant such as sand particles or parasite inside the shell. The mollusk creates a pearl sac to seal off the irritation.

हम बचतें हैं दुःखों -तकलिफों से

अौर

समुद्र के सीप को देखो

गर रेत का कण चला जाये,

उसके अंदर

     वह उसे भी आबदार मोती बना ङालता है !

 

सीप के अंदर अगर रेत कण चला जाता हैं। तब इसके अंदर रहने वाला मॉलस्क कीङे  को अपनी त्वचा पर रेत से तकलीफ होने लगती है। इससे बचने के लिये, इस रेत के कण पर वह अपनी त्वचा से निकले चिकने तरल पदार्थ की परतें चढ़ाने लगता है अौर यही चमकदार   बन जाता है।