क्यों आज़ लोग खुश और संतुष्ट नहीं?
क्यों लोग स्वयं को नहीं, दूसरों को देख रहें हैं?
आध्यात्मिक-मानसिक प्रगति से दूर,
भाग रहें हैं भौतिक प्रगति की ओर।
पर है स्वयं के गोली-बारी, हिंसा से लहू-लुहान।
गीता ने सदियों पहले बताया,
जो तुम्हारे पास है उसमें संतुष्ट, ख़ुश रहना सीखो,
क्योंकि ख्वाहिशें तो अनंत हैं।
सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः।।12.14।।
अर्थ- संयतात्मा दृढ़निश्चयी योगी सदा सन्तुष्ट है।
जो अपने मन और बुद्धि को मुझमें अर्पण किये हुए है?
वह मुझे प्रिय है। (भगवद् गीता अध्याय 12 श्लोक 14)

Salman Rushdie Stabbed In Neck At New York Event, Taken To Hospital. https://www.ndtv.com/world-news/author-salman-rushdie-attacked-on-stage-at-an-event-in-new-york-news-agency-pti-3249899/amp/1
You must be logged in to post a comment.