The happiness  of your life

The happiness

           of your life

                  depends upon

                              the quality

                                       of your thoughts.

 

– Marcus Aurelius,

Happiness

Probably the biggest insight…

is that happiness is not just a place but also a process. …

Happiness is an ongoing process of fresh challenges, and…

it takes the right attitudes and activities to continue to be happy.

~~   Ed Diener

खुशी का वह पल !!

हम खुशियों की खोज में न जाने कहाँ-कहाँ भटकते है।बड़े-बड़े चाहतों के पीछे ना जाने कितना परेशान होते हैं। पर, सच पूछो तो खुशी हर छोटी बात में होती है। यह सृष्टि की सबसे बड़ी सच्चाई है।

इस जिंदगी के लंबे सफर में अनेक उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। ये खुशियां इन उतार चढ़ाव में हमें हौसला और हिम्मत देती हैं। पर अक्सर हम छोटे-छोटी खुशियों को नज़र अंदाज़ कर देते हैं, किसी बड़ी खुशी की खोज में। ऐसा एहसास स्वामी विवेकानंद को भी अपने जीवन के आखरी दौर में हुआ था।

खुशी ऐसी चीज़ नहीं है जो हर समय हमारे पास रहे। यह संभव नहीं है। खुशी और दुख का मेल जीवन के साथ चलता रहता है। हाँ, खुशी की चाहत हमारे लिए प्रेरणा का काम जरूर करती है। कभी किसी के प्यार से बोले दो बोल, बच्चे की प्यारी मुस्कान, फूलों की खूबसूरती या चिड़ियों के चहचहाने से खुशी मिलती है। कभी-कभी किसी गाने को सुन कर हीं चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं या कभी किसी की सहायता कर खुशी मिलती है। 

कठिनाइयों की घड़ी में छोटे-छोटी खुशियाँ उनसे सामना करने का हौसला देती हैं। इस बारे में अपने जीवन की एक घटना मुझे याद आती है। मेरी बड़ी बेटी तब 12 वर्ष की थी। उसके सिर पर बालों के बीच चोट लग गया। जिससे उसका सर फूट गया। मैं ने देखा, वह गिरने वाली है।

घबराहट में मैंने उसे गोद में उठा लिया। जब कि इतने बड़े बच्चे को उठाना मेरे लिये सरल नहीं था। मैंने एक तौलिये से ललाट पर बह आए खून को पोछा। पर फिर खून की धार सिर से बह कर ललाट पर आ गया। वैसे तो मैं जल्दी घबराती नहीं हूँ। पर अपने बच्चे का बहता खून किसी भी माँ के घबराने के लिए काफी होता है। इसके अलावा मेरे घबराने की एक वजह और भी थी । बालों के कारण चोट दिख नहीं रहा था। मुझे लगा कि सारे सिर में बहुत चोट आई है।

मेरी आँखों में आँसू आ गए। आँखें आँसू से धुँधली हो गई। मैं धुँधली आँखों से चोट को ढूँढ नहीं पा रही थीं। मेरी आँखों में आँसू देख कर मेरी बेटी ने मेरी हिम्मत बढ़ाने की कोशिश की।

उसने मेरे गालों को छू कर कहा- “ मम्मी, तुम रोना मत, मैं बिलकुल ठीक हूँ’। जब मैंने उसकी ओर देखा। वह मुस्कुरा रही थी। मैं भी मुस्कुरा उठी। उसकी दर्द भरी उस मुस्कुराहट से जो ख़ुशी मुझे उस समय मिली। वह अवर्णनीय है। मुझे तसल्ली हुई कि वह ठीक है। उससे मुझे हौसला मिला। मेरा आत्मविश्वाश लौट आया। उसकी मुस्कान ने मेरे लिए टॉनिक का काम किया। मैंने अपने आँसू पोछे और घबराए बिना, सावधानी से चोट की जगह खोज कर मलहम-पट्टी किया और फिर उसे डाक्टर को दिखाया।

  मुस्कुरा कर देखो तो सारा जहां हसीन है,
वरना भिगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है।

Happiness

When I Asked God for Strength
He Gave Me Difficult Situations to Face
When I asked God for intelligence
He Gave Me Puzzles to Solve.
When I Asked God for Happiness
He Showed Me Some Unhappy People
When I Asked God for Wealth
He Showed Me How to Work Hard
When I Asked God for Favors
He Showed Me Opportunities to Work Hard
When I Asked God for Peace
He Showed Me How to Help Others
God Gave Me Nothing I Wanted
He Gave Me Everything I Needed.

Swami Vivekanand

#Iamhappy वह खुशी का पल ( blog related topic )

हम खुशियों की खोज में न जाने कहाँ-कहाँ भटकते है।बड़े-बड़े चाहतों के पीछे ना जाने कितना परेशान होते हैं। पर, सच पूछो तो खुशी हर छोटी बात में होती है। यह सृष्टि की सबसे बड़ी सच्चाई है।

इस जिंदगी के लंबे सफर में अनेक उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। ये खुशियां इन उतार चढ़ाव में हमें हौसला और हिम्मत देती हैं। पर अक्सर हम छोटे-छोटी खुशियों को नज़र अंदाज़ कर देते हैं, किसी बड़ी खुशी की खोज में। ऐसा एहसास स्वामी विवेकानंद को अपने जीवन के आखरी दौर में हुआ था।

खुशी ऐसी चीज़ नहीं है जो हर समय हमारे पास रहे। यह संभव नहीं है। खुशी और दुख का मेल जीवन के साथ चलता रहता है। हाँ, खुशी की चाहत हमारे लिए प्रेरणा का काम जरूर करती है। कभी किसी के प्यार से बोले दो बोल, बच्चे की प्यारी मुस्कान, फूलों की खूबसूरती या चिड़ियों के चहचहाने से खुशी मिलती है। कभी-कभी किसी गाने को सुन कर हीं चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं या कभी किसी की सहायता कर खुशी मिलती है। जेनिफ़र माइकेल हेख्ट ने अपनी एक पुस्तक “दी हैपीनेस मिथ: द हिस्टीरिकल एंटिडौट टू वाट इस नॉट वर्किंग टुड़े“ में इस बात को बड़े अच्छे तरीके से बताया है।

कठिनाइयों की घड़ी में छोटे-छोटी खुशियाँ उनसे सामना करने का हौसला देती हैं। इस बारे में अपने जीवन की एक घटना मुझे याद आती है। मेरी बड़ी बेटी तब 12 वर्ष की थी। उसके सिर पर बालों के बीच चोट लग गया। जिससे उसका सर फूट गया। मैं ने देखा, वह गिरने वाली है।

घबराहट में मैंने उसे गोद में उठा लिया। जब कि इतने बड़े बच्चे को उठाना सरल नहीं था। मैंने एक तौलिये से ललाट पर बह आए खून को पोछा। पर फिर खून की धार सिर से बह कर ललाट पर आ गया। वैसे तो मैं जल्दी घबराती नहीं हूँ। पर अपने बच्चे का बहता खून किसी भी माँ के घबराने के लिए काफी होता है। इसके अलावा मेरे घबराने की एक वजह और भी थी । बालों के कारण चोट दिख नहीं रहा था। मुझे लगा कि सारे सिर में बहुत चोट लगी है।

मेरी आँखों में आँसू आ गए। आँखें आँसू से धुँधली हो गई। मैं धुँधली आँखों से चोट को ढूँढ नहीं पा रही थीं। मेरी आँखों में आँसू देख कर मेरी बेटी ने मेरी हिम्मत बढ़ाने की कोशिश की।

उसने मेरे गालों को छू कर कहा- “ मम्मी, तुम रोना मत, मैं बिलकुल ठीक हूँ’। जब मैंने उसकी ओर देखा। वह मुस्कुरा रही थी। मैं भी मुस्कुरा उठी। उसकी दर्द भरी उस मुस्कुराहट से जो ख़ुशी मुझे उस समय मिली। वह अवर्णनीय है। मुझे तसल्ली हुई कि वह ठीक है। उससे मुझे हौसला मिला। मेरा आत्मविश्वाश लौट आया। उसकी मुस्कान ने मेरे लिए टॉनिक का काम किया। मैंने अपने आँसू पोछे और घबराए बिना, सावधानी से चोट की जगह खोज कर मलहम-पट्टी किया और फिर उसे डाक्टर को दिखाया।
              

                           मुस्कुरा कर देखो तो सारा जहां हसीन है,
                    वरना भिगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है।

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