दहलीज

दहलीज़ यूँ हीं नहीं बनते।

ये मकाँ को घर है बनाते।

घर की हिफ़ाज़त है करते।

इस कदर होतें है पैबस्त ये

चौखट दिल-औ-दिमाग़ में

कि दाख़िल होते एक से दूसरे दरवाज़े में,

नई सोंच आती है दिमाग़ में।

दिल की दहलीज़ हो या घर की।

ये कुछ बातें याद दिलाती है,

कुछ बातें भुलातीं है।

About doorway effect Psychologists says – walking through a door and entering another room creates a “mental blockage” in the brain. walking through open doors resets memory to make room for a new episode to emerge. That’s is why you sometimes walk into a “room and forget why you entered

अधूरी ग़ज़ल

गुमनाम अधूरी ग़ज़लों को

मुकम्मल क़ाफ़िया मिल जाए।

तो उनकी सफ़र पूरी हो जाए।

फ़ुर्सत मिल जाए तो

Topic by Your Quote.

फ़ुर्सत मिल जाए तो

दो बातें हम से भी कर लेना।

एक बात तुमसे कहनी थी-

ना ख़ूबसूरती रहती है,

ना जुनून

जब दो एक हो जाते हैं।

बस रह जाता है इश्क़।

एक जंग अपनों से…

ये ज़िंदगी की धुआँ धुआँ हैं आहें।

दुरूह धोखे औ गर्द भरी राहें।

मसला तो यह है कि अपने हीं

मसलते हैं अपनों के दिलों को।

इतिहास भी देता है गवाहियाँ।

लाख कोशिशों के बाद कृष्ण भी हारे।

चाहे रिश्ते लाख निबाहें,

बदली हो जब अपनों की निगाहें।

एक जंग अपनों से…

रोक नहीं सके सारे।

TopicByYourQuote

रेत हो या वक्त

ना समझो इसे मौन,

खोज़ रहें है, हम हैं कौन?

कर रहे हैं अपने आप से गुफ़्तगू।

हमें है खोज़ अपनी, अपनी है जुस्तजू ।

इश्क़ अपने आप से, अपने हैं हमसफ़र।

छोटी सी ज़िंदगी, छोटी सी रहगुज़र।

रेत हो या वक्त ,

फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।

लगेगा नहीं कुछ खबर।

एक छोटी सी बात

हम ख़ुशियाँ चुनते रहे।

और ना जाने कब

ज़िंदगी नाराज़ हो गई।

सब कहते रहे …..

एक छोटी सी बात थी।

हम बात तलाशते रहे पर

ना जाने क्यों ज़िंदगी नाराज़ हो गई।

TopicByYourQuote

ख़ुशगवार ज़िंदगी

ज़माने की महफ़िल में मुस्कुरा कर

करते हो बातें।

अपनों से, जाने-अनजानों से।

कुछ अपनी फ़िक्र, अपना ख़याल करो।

ज़माने के रंज-औ-ग़म ना उतारो ख़ुद पर।

चाहिए ग़र ज़िंदगी ख़ुशगवार चुस्त।

अपने-आप से बातें करो वही जो हों दुरुस्त।

Interesting Psychological Fact – Self-talk is

our internal dialogue. It’s influenced by

our subconscious mind, and it reveals

our thoughts, beliefs, questions, and ideas.

Positive Self-talk can enhance your

performance and general well-being.

सबके सामने

मुस्कुराती आँखें सबके सामने

ग़ज़ब हैं झिलमिलाती सब के सामने।

चमक आँसुओं के नमी की है

या ख़ुशियों की है?

कैसे जानें?

नज़रों को पढ़ने वाले अब हैं कहाँ?

अपनी ज़िंदगी कब जियोगे?

लोग क्या कहेंगे?

अगर सुन रहे हो लोगों की।

तब जी रहे हो उनकी ज़िंदगी,

उनकी बातें,

उनकी ख्वाहिशें।

अपनी ज़िंदगी कब जियोगे?

अहम बातें

ज़िंदगी की कुछ अहम बातें है –

दिल औ दिमाग़ में ज्ञान भरने के लिए पढ़ना,

दिल औ दिमाग़ में भरे दर्द हटाने,

खाली करने के लिए लिखना।

बातों को समझने के लिए ज़िक्र औ चर्चा करना।

यादों से निकलने के लिए उनको समझना।

बातों को आत्मसात् करने के लिए पढ़ाना।

राज़-ए-दिल और दिल की बातें दिल में रखना।