जिंदगी थी खुली किताब,
हवा के झोकों से फङफङाती ।
आज खोजने पर भी खो गये
पन्ने वापस नहीं मिलते।
शायद इसलिये लोग कहते थे-
लिफाफे में बंद कर लो अपनी तमाम जिन्दगी,
खुली किताबों के अक्सर पन्नें उड़ जाया करते है ।
जिंदगी थी खुली किताब,
हवा के झोकों से फङफङाती ।
आज खोजने पर भी खो गये
पन्ने वापस नहीं मिलते।
शायद इसलिये लोग कहते थे-
लिफाफे में बंद कर लो अपनी तमाम जिन्दगी,
खुली किताबों के अक्सर पन्नें उड़ जाया करते है ।
समझौता, भोलापन, भरोसा हँस पङे।
बोले हमारे साथ रहने वाले का यही हश्र होता है
पर एक बात है!
हम जिंदगी का आईना अौर दुनिया की असलियत जरुर दिखा देतें हैं।
काश कुछ लोगों से जिन्दगी की होड़ में इतनी जफ़ा ना होती,
काश उनमे अक्स सी सच्चाई और परछांई सी वफ़ा भी होती |
Courtsy blogger –