हर पल मुस्कराता चेहरा

बहुत  खामोशी ……

अौर

हर पल मुस्कराता चेहरा…………

कभी गौर से देखो,

गर पढ़ सको………

तब दिखेगा,

यह तो  दर्द का आईना है।

वक्त -कविता 

mirror

कभी तो.थोड़ा थम जा

ऐ वक्त

साँस लेने दे.

ज़रा सुस्ताने दे.

घड़ी की ये सूईया भी

भागी जा रही हैं

बिना पैरों ,

अपनी दो हाथों के सहारे.

कब मुट्ठी के रेत की

तरह तुम फिसल गये वक्त.

पता ही नहीँ चला.

वह तो आईना था.

जिसने तुम्हारी चुगली कर दी.