रात्रि परागना के देवदूत पतंगे: ओलिएंडर हॉक मॉथ्स  Oleander Hawk-moth: Daphnis neriiपरागण की अद्भुत दुनिया World of Pollination

My latest article on nature has been published. I am sharing it as part of an awareness program to highlight the importance of night-pollinating moths and their role in maintaining ecological balance.

Article link – Amar ujala

https://www.amarujala.com/columns/blog/night-pollinating-angel-moths-oleander-hawk-moth-2025-12-15

इस दुनिया की हरियाली,  सारा फ्लोरा और फौना — सब परागण पर टिका हुआ है। और काफी हद तक, इस पूरे संसार में जीवन का आधार और जीवन चक्र भी इन्हीं परागण प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है।

यह परागण वो नन्हे-नन्हे जीव दिन-रात करते रहते हैं, जो हमारे आसपास ही होते हैं — लेकिन हम अक्सर उन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। तितलियाँ, बीटल्स, मधुमक्खियाँ और मॉथ्स जैसे कीट-पतंगे इस परागण के ज़िम्मेदार सिपाही हैं, जो पूरी निष्ठा से इस कार्य को निभाते रहते हैं।

हमें उनका आभार मानना चाहिए — और उनकी सुरक्षा का, उनके अस्तित्व का ध्यान रखना चाहिए।

ओलिएंडर हॉक मॉथ्स- एक परिचय

ये सुंदर निशाचर पतंगे, प्रकृति का एक चमत्कारी उपहार हैं। ये परागण, पोषक तत्वों के चक्रण, खाद्य श्रृंखला और एक स्वस्थ पर्यावरण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई फूल केवल रात में खिलते हैं — और उनके परागण का कार्य मुख्यतः ये पतंगे करते हैं।

 ओलिएंडर हॉक मॉथ — सौंदर्य, शक्ति और संरक्षण का प्रतीक

• यह पतंगा दुनिया के सबसे सुंदर, तेज़ उड़ने वाले और जहरीले पत्तों को खाने वाले पतंगों में से एक है।

• इसके पंखों पर हरे, सफेद और गुलाबी रंगों के आकर्षक पैटर्न होते हैं, जो इसे कनेर और जैतून के पत्तों  के बीच शिकारियों से छिपने में मदद करते हैं।  

•पंखों का फैलाव 9 से 12 सेंटीमीटर तक होता है।

• भारत के अधिकांश भागों में यह पाया जाता है।

• पुणे में कनेर के पौधों की अधिकता, हरियाली और अनुकूल मौसम के कारण यह बड़ी संख्या में देखा जाता है।

• यह जुलाई से अक्टूबर के बीच यानी मानसून और उसके बाद सक्रिय रहता है।

          प्रवास और उड़ान की रहस्यपूर्ण यात्रा

  • यह एक प्रवासी कीट है जो भोजन और मौसम की अनुकूलता के कारण गर्म क्षेत्रों से ठंडे क्षेत्रों की ओर उड़ान भरता है।

             •  यह सहारा रेगिस्तान पार करके दक्षिण और मध्य यूरोप तक प्रवास करता है।

             • यह उड़ते समय तेज़ हवाओं की दिशा और गति के अनुसार अपने मार्ग को नियंत्रित करता है।

• इसकी यह लंबी दूरी की यात्रा अब भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य है।

प्राकृतिक छलावरण और रक्षा प्रणाली

  • इसके पंखों का रंग सेना के कमांडो की वर्दी जैसा होता है, इसलिए इसे “फौजी कीट”, “नेचर की आर्मी”, या “ग्रीन आर्मी मॉथ” भी कहा जाता है।
  • इसके लार्वा कनेर के ज़हरीले पत्ते खाकर उस विष को अपनी त्वचा पर एक रक्षा कवच की तरह संचित कर लेते हैं।
  • इसके कैटरपिलर की पीठ पर नकली आंखों जैसी आकृति होती है, जिससे यह किसी सांप जैसे जीव का भ्रम देता है।

              रात्रिकालीन फूलों के साथी

•दिन में अदृश्य रहने वाले ये पतंगे रात को खिलने वाले फूल जैसे – रजनीगंधा, रात की रानी, सीताफल, कद्दू, लौकी, तुरई, ड्रैगन फ्रूट, चंद्रमल्लिका, निशागंधा, ब्रह्मकमल,  हनीसकल, जैस्मिन आदि का परागण करते हैं।

• इन पतंगों के बिना इन फूलों का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।

 छत्तीसगढ़ की एक जनजातीय दंतकथा

            एक बार जंगल के फूलों को निशाचर कीटों ने खा लिया, जिससे फूलों का परागण बंद हो गया। तब चाँद  ने एक हरे, शालीन पतंगे को भेजा जिसने हर फूल से मिलकर उसका रसपान किया और पराग फैलाकर जंगल को नवजीवन दिया।

•इस कथा के अनुसार, छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ इस पतंगे को प्रकृति की जागृत आत्मा, पूर्वजों की मौन छाया, संदेशवाहक आत्मा और जंगलों की चेतना मानती हैं।

• वहाँ इसे देखना शुभ माना जाता है।

रात का रथ — अद्वितीय उड़ान

  • इसकी उड़ान सटीक, बिना आवाज़, सीधी, स्थिर और शक्तिशाली होती है।
  • यह हवा में एक ही स्थान पर मंडरा कर फूलों से रसपान कर सकता है।
  • इसी विशेषता के कारण इसे “रात्रि का रथ — Chariot of the Night” भी कहा जाता है।

दुर्लभ मॉथ्स को संरक्षण की आवश्यकता

                        यह रंग-बिरंगा, रहस्यमय और मोहक पतंगा अपनी शांत, शालीन उड़ान से सभी को मोहित करता है। लेकिन दुर्भाग्यवश इसके महत्व को समझने वाले बहुत कम हैं।

 संरक्षण चुनौतियाँ

  • जंगलों की अंधाधुंध कटाई
  • अत्यधिक रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग
  • खेती के विस्तार से प्राकृतिक आवास का विनाश
  • जलवायु परिवर्तन
  • इनके भोजन और आश्रय स्थलों की कमी

संरक्षण के उपाय

  • जन जागरूकता फैलाना
  • इनके पसंदीदा पौधे जैसे कनेर लगाना
  • कीटनाशकों का सीमित और विवेकपूर्ण उपयोग
  • वृक्षों की कटाई पर नियंत्रण
  • प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा

लेखिका:

Dr. Rekha Rani

Writer | Counsellor | Ex-Professor

शशांक गांधी – मुकुंदनगर, पुणे, महाराष्ट्र

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रात्रि परागना के देवदूत पतंगे: ओलिएंडर हॉक मॉथ्स Oleander Hawk-moth: Daphnis nerii (Summary)

ये सुंदर निशाचर पतंगे प्रकृति का एक चमत्कारिक उपहार हैं। ये परागण, पोषक तत्वों के चक्रण, खाद्य श्रृंखला और एक स्वस्थ पर्यावरण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई फूल केवल रात में खिलते हैं — और उनके परागण का कार्य मुख्यतः ये पतंगे करते हैं।

ओलिएंडर हॉक मॉथ — सौंदर्य, शक्ति और संरक्षण का प्रतीक है।

• यह पतंगा दुनिया के सबसे सुंदर, तेज़ उड़ने वाले और जहरीले पत्तों को खाने वाले पतंगों में से एक है।

• इसके पंखों पर हरे, सफेद और गुलाबी रंगों के आकर्षक पैटर्न होते हैं, जो इसे कनेर और जैतून के पत्तों के बीच शिकारियों से छिपने में मदद करते हैं।  

Angelic Night Pollinators: The Oleander Hawk Moths (Summary )

The Oleander Hawk Moth (Daphnis nerii) is a beautiful night pollinator found across India, especially in Pune. It plays a key role in pollinating night-blooming flowers like jasmine, tuberose, and Brahmakamal. Its green, pink, and white patterned wings help it camouflage among leaves. It feeds on toxic oleander leaves and uses the poison for its own protection. Known for its silent, stable flight, it can hover like a hummingbird. Tribal legends call it a “spirit of the forest.” Sadly, habitat loss, pesticides, and climate change threaten its survival. Planting oleander and reducing pesticides can help protect this mysterious moth.

Writer

Dr. Rekha Rani

Writer | Counsellor | Ex-Professor

Photo courtesy: Shashank Gandhi , mukundnagar Pune MH India

My 11 Anniversary on wordpress!

समय, पानी-सा बहता चला गया,
मुट्ठी में भरी रेत-सा हर लम्हा फिसल गया।
किससे पूछें हिसाब उन गुज़रे पलों का?
बस यह समझ आया……….
थामना नहीं चलते रहना जीवन है।

Happy Writing!!

एकांत लम्हों

दिल और रूह

रूह का सफ़र

ना गिन दौलत,

ना गिन माल-ओ-असबाब,

गिन बस अपनी साँसें,

और हर लम्हा अमल में ढाल.

रूह का सफ़र है,

बाक़ी सब फ़ना है!!!

लम्हें

गीता जयंती : श्रद्धांजली

गीता जयंती : मोक्षदा एकादशी – पिता को श्रद्धांजलि

(मार्गशीर्ष के उज्ज्वल पक्ष में, पवित्र मोक्षदा एकादशी के दिन

भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का दिव्य उपदेश दिया था।)

मोक्षदा एकादशी के पवित्र दिन

आपकी आत्मा अनन्त प्रकाश में विलीन हुई।

आपकी मुस्कान आज भी सहारा है।

आपकी सीखों और संस्कारों

ने जीवन सँवारा हैं।

Tribute: To my father on his death- anniversary

(Geeta Jayanti / Mokshada Ekadashi) In Margashira,

World Kindness Day !

विश्व दयालुता दिवस World Kindness Day- 13 नवंबर 2025

दयालुता और नेकी की एक किरण,

कई दिलों को रौशन कर जाती है।

बम विस्फोटों के ख़ौफ़नाक मंजर

और आतंक को पीछे छोड़,

मेहरबान बनो —

ताकि यह जहाँ और भी बेहतर बन सके।

Be kind, and make this world a better

place to live in. But don’t forget —

be kind to yourself too. True change

begins within.

चेहरे पे कई चेहरे

चेहरे पर कई चेहरे !!

लोगों ने चेहरों पे न जाने कितने नक़ाबात लगा रखें हैं,

हर मुस्कुराहट के पीछे कुछ हिसाबात छुपा रखे हैं।

खुली आँखों से तो सब हसीन नक़्शे लगे हैं।

कैसे असली इंसान और रूह पहचानें?

कितनों ने एक चेहरे पर कई चेहरे लगा रखें है।

भारतीय वन्य जीवन का अनूठा संसार: आर्द्रभूमि पर बना बिगवान वेटलैंड

Dr. Rekha Rani

डॉ. रेखा रानी

भारत वन्य जीवन और अनूठा संसार: आर्द्रभूमि पर बना बिगवान – वेटलैंड की दुनिया

लेखिका: डॉ. रेखा रानी
प्रकाशित तिथि: 26 अक्टूबर 2025
स्रोत: Amar Ujala – पूरा लेख पढ़ें

परिचय
पुणे, महाराष्ट्र में स्थित बिगवान वेटलैंड भीमा नदी पर बना एक सुंदर जलाशय है। यह केवल एक प्राकृतिक तालाब नहीं, बल्कि पर्यावरण, जैव विविधता और स्थानीय जल संतुलन का अहम केंद्र है।

वेटलैंड की महत्ता
बिगवान में सालभर ताजे पानी का स्रोत बना रहता है।

यह स्थानीय समुदाय के मछली पालन और जल संरक्षण में सहायक है।

यहाँ अनेक जलीय जीव, पौधे, और पक्षियों को प्राकृतिक आश्रय मिलता है।

मछलियाँ और जलीय जीवन
यहाँ रोहू, कतला, मृग, सिल्वर कार्प, और भारतीय हिल्सा जैसी कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
वेटलैंड के इर्द-गिर्द ड्रैगनफ़्लाई, डैमसेलफ़्लाई, जल-मक्खियाँ, भौंरे, और तितलियाँ आम दृश्य हैं।

पक्षियों का स्वर्ग
अक्तूबर से मार्च तक, यहाँ दूर-दराज से प्रवासी पक्षी आते हैं —
फ्लेमिंगो, सफेद सारस, बगुले, कस्तूरी बाज, गूल, पेलिकन, और किंगफिशर जैसी प्रजातियाँ इस वेटलैंड को जीवंत बना देती हैं।
यह स्थल पक्षी प्रेमियों और पर्यावरण वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का महत्वपूर्ण केंद्र है।

स्थानीय आस्था
स्थानीय समुदाय बिगवान झील को पवित्र मानता है और इसे भगवान शिव द्वारा संरक्षित क्षेत्र समझता है।

बिगवान वेटलैंड न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत की प्राकृतिक धरोहर है। यह जल, जीवन और जैव विविधता का अद्भुत संगम है — जिसे हमें संरक्षित रखना चाहिए।
लेखिका का परिचय:
डॉ. रेखा रानी पर्यावरण और वन्य जीवन विषयों पर सक्रिय लेखिका हैं। उनका लेख “भारत वन्य जीवन और अनूठा संसार: आर्द्रभूमि पर बना बिगवान वेटलैंड की दुनिया” Amar Ujala में 26 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित हुआ।

🔗 पूरा लेख पढ़ें:
https://www.amarujala.com/columns/blog/indian-forest-world-bhigwan-wetland-in-maharashtra-2025-10-26