
महफ़िलें, भीड़, मेले में भी हो अकेले जब।
तन्हाई की आदत हो जाती है तब।
तन्हा सफ़र की आदत जाती नहीं तब,
तन्हाई की लगे जब तलब।
एकांत की खुमारी छाने लगे।
बिना नशा भी नशा आने लगे।
मतलब तन्हाई बन गई है शौक़ अजब
रब के आशीर्वाद की बन गई है सबब।

महफ़िलें, भीड़, मेले में भी हो अकेले जब।
तन्हाई की आदत हो जाती है तब।
तन्हा सफ़र की आदत जाती नहीं तब,
तन्हाई की लगे जब तलब।
एकांत की खुमारी छाने लगे।
बिना नशा भी नशा आने लगे।
मतलब तन्हाई बन गई है शौक़ अजब
रब के आशीर्वाद की बन गई है सबब।
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कारण है आत्मा
आत्मा के कारण
अपने घोंसले से सभी देवता हैं
नन्हे चूजे की तरह
उड़ने योग्य
मस्तिष्क में
मानव
बन गया
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