मन का अँधेरा

मन के अंधेरे को दूर करने के लिए,

आशा का इक चराग़ काफ़ी है।

हौसले की कौंधती बिजली,

कुछ उम्मीद की किरणें

शीतल चाँद की चाँदनी काफ़ी हैं।

कितनी भी अँधेरी रात हो,

रौशन करने को इक आफ़ताब काफ़ी है।

मन के अंधेरा दूर करने के लिए

मन में, टिमटिमाते सितारे सा उल्लास काफ़ी है।

#yourQuoteTopic

6 thoughts on “मन का अँधेरा

Leave a comment