गुलाब को कमल क्यों बनना?

जब लोग आपको तराशने और अपने साँचे में ढालने लगे।

आपको काट-छाँट औ कतर कर अपने पसंद लायक़ बनाने लगें।

तब बेहतर है संभल जाना।

हर फ़ूल अपनी सुगंध और ख़ूबसूरती ले कर आया है।

क्या कभी गुलाब को कमल बनाने का ख़्याल भी मन में आया है?

फिर अपने को खो कर किसी जैसा,

किसी के पसंद सा क्यों बनाना?

सच तो ये है कि अपने को गवाँ कर नहीं पाया जा सकता किसी को।

9 thoughts on “गुलाब को कमल क्यों बनना?

  1. सही कहा दीदी आपने👌🏼👌🏼 पर कई बार ना चाहते हुए भी हमें बदलना पड़ता हैं ओर यह एक नारी के जीवन में अधिक होता हैं 😊🙏🏼

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    1. हाँ, तुम्हारी बात बिलकुल सच है। पर समस्या यह है की एक बार अपने आप को बदलने से लोगों की अपेक्षायें बढ़ती जातीं है। इसलिए अपनी अहमियत जाहिर करना भी ज़रूरी है।

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      1. आपके विचारों से मैं पूर्ण रूप से सहमत हूँ,परन्तु कोमल व संवेदनशील हृदय वाले स्वयं के स्वभाव के विपरीत कार्य बहुत मुश्किल से ही कर पाते है ,उनके लिए कठोर होना बहुत मुश्किल व चुनौती युक्त होता है ।😊

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