हाथ पकड़ कर !

दिया तुमने दर्द औ तकलीफ़।

ज़रूर कुछ सिखा रहे हो,

कुछ बता रहे हो।

डिग्री नहीं, सच्चे सबक़ नज़रों

के सामने ला रहे हो।

जानते हैं गिरने ना दोगे।

हाथ पकड़ कर चलना सीखा रहे हो।

6 thoughts on “हाथ पकड़ कर !

  1. मैं बचपन से हूँ
    अशांति में
    अक्सर हताश
    और डर में
    शिक्षा
    वो आत्मा
    उसके सपने के माध्यम से
    मेरे अंत तक चलेगा

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