हर रोज अपने आस-पास लोगों को पहेलियाँ बुनते देखा है।
वे बोलते कुछ है, अर्थ कुछ अौर होता है।
वे चाहते है कि लोग इस रहस्य को समझ जायें।
लेकिन वे भूल जाते हैं।
कैंची जैसी जुबान सारे रिश्ते कतर देती है।
अौर
ना तो कतरनें पहले जैसी हो सकतीं हैं।
ना टूटे काँच की किरचियाँ।
बस चुभन रह जाती है,
अौर रह जाती है टूटते रिश्तों की अनसुनी आवाज़ें।
Image – Chandni Sahay
Wow!👌
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Thank you.
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Bahut khub ..
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thank you 🙂
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Bahut badhiya
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thank you 🙂
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