मित्र

खोज रहें हैं, एक सुदामा सा कोई मिल जाए !

वैसे तो मीत बनाने को

ना जाने कब से ढूँढ रहें हैं कान्हा को भी.

अभी तक वो तो मिले नहीं.

कहते हैं, अहंकार सेकृष्ण को पाया नहीं जा सकता.

अब मीरा-राधा सा निश्छल हृदय कहाँ से लायें?

जो कृष्ण मिल जायें?

इसलिए खोज रहें हैं,

एक सुदामा सा तो कोई मित्र मिल जाए !

 

शुभ मित्रता दिवस !!!!

8 thoughts on “मित्र

  1. khubsurat abhivyakti.

    मुमकिन है श्रीकृष्ण मिल भी जाएँ
    सुदामा का मिलना आसान नहीं है,
    धनिक मित्र के सम्मुख गरीबी छुपाए,
    ऐसा सुदामा बन जाना आसान नहीं है|

    Liked by 2 people

    1. कृष्ण भक्त हूँ. एक मोर पंख हीं ख़ुशियों से भर देता है.
      कान्हा-सुदामा दोनों मिल जायें,
      दोनों में कोई एक मिल जाए. चमत्कार हीं हो जाएगा.
      बहुत आभार मधुसूदन इन प्यारी पंक्तियों के लिए.

      Liked by 1 person

Leave a reply to Rekha Sahay Cancel reply