कहते हैं जो बीत गई वो बात गई.
उन्हें जाने देना चाहिए !
पर सच तो है कि बहुत सी बीती बातें हीं
ठहर जातीं है बीत जाने पर भी,
जिद्द की तरह !!
बातों का क्या है – कही, अनकही,
कुछ अधूरी, कुछ पूरी. अटकी रहतीं हैं,
घर बना कर ज़ेहन के किसी कोने में.
ज़िन्दगी का हिस्सा बन.
जो बीत गई ,
वो बात रह गई ज़िंदगी का हिस्सा बन कर !!!

सही कहा आपने । बीती बातें जीवन का इक हिस्सा बन जाती है ।
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बिलकुल, कुछ बातों को चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकता. आभार अनुराग .
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सही कहा । और मेरे हिसाब से भूलाने की कोशिश करने से बातें और याद आती है।
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हाँ, यह सच है।
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Sahi kaha… kuch baaten dilo dimaga se nhi jati hai… dil ke ek kone me sadaiv rehti hai…
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Bilkul .
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बीत गई बातों की यादें तो रह ही जाती हैं रेखा जी और ज़िंदगी यादों के सिवा है ही क्या ? ज़िन्दगी से यादों को निकाल दिया जाए तो पीछे जो बचेगा, वह न के बराबर ही होगा । इसके अतिरिक्त,’जो बीत गई सो बात गई’ एक दुनियादारी का फ़लसफ़ा है । किसी जज़्बाती इंसान के लिए इस फ़लसफ़े पर पूरी तरह अमल करना मुश्किल ही है ।
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आपने बिलकुल ठीक कहा. कुछ लोग बड़े आराम से पुरानी बातों को भूलने की सलाह कैसे देते हैं. मालूम नहीं.
आभार जितेंद्र जी.
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So heart touching🌼❤😊
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Thank you Nimish.
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Beete batein par dil bhulta bhi
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yah bilkul sach hai.
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Nhi
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Thank you Dolly.
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वाह! वाह!
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Thank you Deep. Welcome to WP.
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Aapki mehar se🥰
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😊
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Bilkul sahi likha apne
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thank you so much!!
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