अनुगच्छतु प्रवाह !

जीवन प्रवाह में बहते-बहते आ गये यहाँ तक।

 माना,  बहते जाना जरुरी है। 

परिवर्तन जीवन का नियम है।

पर जब धार के विपरीत,

 कुछ गमगीन,  तीखा मोङ आ जाये,

  किनारों अौर चट्टानोँ से टकाराने  लगें, 

  जलप्रवाह, बहते आँसुअों से मटमैला हो चले,

   तब?

 तब भी,

जीवन प्रवाह का अनुसरण करो।

यही है जिंदगी।

प्रवाह के साथ बहते चलो।

 अनुगच्छतु प्रवाह ।।  

6 thoughts on “अनुगच्छतु प्रवाह !

  1. Wow beautiful

    उसका मेरे जीवन में आना
    बिलकुल
    बनारस की गलियों सा था

    और अब वो जब जा रही
    तो
    मंदाग्नि की भांति गंगा नज़र आ रही 😃❤

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