रिमझिम बरसते बादल

उदास मन ने कहा –

गीतों के खत्म होने के बाद

झनकारें रह जाती हैं.

किसी के जाने के बाद यादें……

बातों के बाद वादें……..

फूलों के बाद ख़ुश्बू रह जाती है.

तभी आकाश के उड़ते

रिमझिम बरसते बादलों ने हँस कर कहा –

ऐसे भी तो बन सकते हो –

उनके जाने के बाद देखा .

सतरंगा इंद्रधनुष नभ में चमक रहा था .

10 thoughts on “रिमझिम बरसते बादल

  1. बहुत खूब रेखा जी ! सचमुच बहुत ही सुंदर बात कही है आपने । एक शेर याद आ रहा है :
    कश्तियां रह जाती हैं, तूफ़ान चले जाते हैं
    यादें रह जाती हैं, इंसान चले जाते हैं

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    1. आभार जितेंद्र जी. आपने पास गानों , शेरों और कविताओं का ख़ज़ाना तो बेहिसाब है हीं, साथ हीं आपकी याददाश्त भी लाजवाब है.
      ज़िंदगी की एक समस्या है, गुज़री कुछ बातों को स्वीकार /accept करना. बस उसी कोशिश में लिखती रहतीं हूँ.

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      1. मैं आपकी समस्या को भलीभांति समझता और महसूस करता हूँ रेखा जी । मेरे ख़याल से ज़िन्दगी का जो फ़लसफ़ा हमारे लिए मुफ़ीद है, वह है : ACCEPT THE LIFE AS IT UNFOLDS. मन तो सच्चाई को स्वीकार करने को नहीं मानता लेकिन स्वीकार किए बिना कोई चारा भी तो नहीं ।

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      2. धन्यवाद जितेंद्र जी. शायद आप भी sensitive व्यक्तित्व वाले हैं. इसलिए महसूस कर रहे हैं. वरना उलटा बोलने वाले भी लोंग हैं.
        आप सही कह रहें हैं – ACCEPT THE LIFE AS IT UNFOLDS ….,,
        मेरी कोशिश भी यही है. पर मन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं.

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