जिंदगी के रंग- 151

जिंदगी के थमे पलों को चलाने की कोशिश की।

पता चला हम हीं उन यादों में उलझ कर रह गए।।

2 thoughts on “जिंदगी के रंग- 151

  1. बहुत खूब कहा। रुके तो उलझन चले तो उलझन।इन यादों का क्या इन्हें पास रखना मुश्किल और इनसे खुद को दूर कर पाना मुश्किल।

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