एक दिन मेरी क़लम ,
पन्ने और मेरे
अंदर की
लेखिका
कहीं खो गई .
पूछा अपने आप से –
क्या यह राइटर्स ब्लाक है
या कुछ और ?
बड़े जद्दोजहद
के बाद समझ आया .
दरअसल सच्चे जज़्बात, दुनियादारी
के तले दबने लगते हैं.
दुनियादारी या
सच्चे जज़्बातों
की
अभिव्यक्ति में किसी
एक का हीं अस्तित्व संभव है .
अपने आप को वापस पास लिया …..
यह मेरा नया जन्म दिन है.


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