ज़िंदगी के रंग – 147

ज़िंदगी भर औरों के लिए

अपने को ख़र्च करते रहे .

फिर भी , बिन माँगे कुछ

मुफ़्त सुझाव मिल हीं जातें हैं?-

तुम्हें ज़िंदगी जीना नहीं आया !!!

10 thoughts on “ज़िंदगी के रंग – 147

    1. और हम पर ऊँगली उठाने वाले भी, क्योंकि सभी अपने अपने तरीक़े से जीते हैं.

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