The tongue

 

12 thoughts on “The tongue

  1. शायद मैंने पहले भी कभी आपके इस कॉलम में ही ‘देशप्रेमी’ फ़िल्म के गीत ‘नफ़रत की लाठी तोड़ो’ की ये पंक्तियां उद्धृत की थीं –
    भर जाता है गहरा घाव जो बनता है गोली से
    पर वो घाव नहीं भरता जो बना हो कड़वी बोली से
    दो मीठे बोल कहो
    आज आपकी इस बात ने उन्हें फिर याद दिला दिया रेखा जी ।

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    1. हाँ, आपसे बात हुई थी,शायद भूल गई थी।
      आजकल लगता है जैसे अपने मन को, अपने दिमाग को भूलने की ट्रेनिंग दे रखी है।
      कुछ तालिफदेह घटनाअों को भूलने के चक्कर में लगता है और भी बातों भूल जाती हूँ।
      इसमें कॅालम में आपने बहुत अच्छा लिखा है। आपकी हिंदी बहुत अच्छी है।
      पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।
      आपकी बात सही है बातों का घाव दिखता नहीं पर भरता भी नहीं है।

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