समय December 27, 2018December 27, 2018 Rekha Sahay समय की किताब पर हाथ फेरा काल के पन्ने पलटे, दिन की नहीं बरसों की यात्राएँ की भूली बिसरी ज़िंदगी लौटाने की कोशिश में . Rate this:Share this: Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook More Click to share on Pinterest (Opens in new window) Pinterest Click to share on Tumblr (Opens in new window) Tumblr Click to share on LinkedIn (Opens in new window) LinkedIn Click to share on Pocket (Opens in new window) Pocket Click to share on Reddit (Opens in new window) Reddit Click to share on X (Opens in new window) X Click to share on Telegram (Opens in new window) Telegram Like Loading... Related
I nominated you for Sunshine blogger award. Do check it out. Congratulations.!! https://mesmotsbysazz.com/2018/12/27/sunshine-blogger-award-2/ LikeLiked by 1 person Reply
Thanks a lot, but I would request you to nominate any upcoming blogger instead of me please LikeLiked by 1 person Reply
मन के दर्पण मे दिखती हैं भूली बिसरी स्मृतियां जैसे पुरानी किताबों पर पडी धूल की परतें याद दिलाती है बीती घड़ी घड़ी की कांटों मे उलझा है समय और समय के चक्रव्यूह मे उलझा है जीवन। LikeLiked by 1 person Reply
आपकी इन्हीं पंक्तियों के संदर्भ में बच्चन जी की अमर पंक्तियां हैं – रात आधी हो गई है! जागता मैं आँख फाड़े, हाय, सुधियों के सहारे, जब कि दुनिया स्वप्न के जादू-भवन में खो गई है! रात आधी हो गई है! सुन रहा हूँ, शांति इतनी, है टपकती बूंद जितनी ओस की, जिनसे द्रुमों का गात रात भिगो गई है? रात आधी हो गई है! दे रही कितना दिलासा, आ झरोखे से ज़रा-सा, चाँदनी पिछले पहर की पास में जो सो गई है! रात आधी हो गई है! LikeLiked by 1 person Reply
दिल छूने वाली कविता है थे .?आपने बच्चन जी की कविता की चर्चा की . यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है . बहुत आभार . LikeLiked by 1 person Reply
Nahin saath denge sada jhoothe sapne
Magar paas paoge tum khaas apne..
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bahut khub!!!!
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I nominated you for Sunshine blogger award. Do check it out.
Congratulations.!!
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Thanks a lot, but I would request you to nominate any upcoming blogger instead of me please
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Khubsurat rachna👍
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Dhanyvaad Deepti.
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खूबसूरत
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धन्यवाद.
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ज़िंदगी ढूँढती कविता!
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बिलकुल सही. कविता का भाव चाँद शब्दों में लिखने के लिए शुक्रिया नीरज .
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मन के दर्पण मे दिखती हैं
भूली बिसरी स्मृतियां
जैसे पुरानी किताबों पर पडी
धूल की परतें
याद दिलाती है बीती घड़ी
घड़ी की कांटों मे
उलझा है समय
और समय के चक्रव्यूह मे
उलझा है जीवन।
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सुंदर कविता , कविता के जवाब में कविता अच्छी लगी. आभार .
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आपकी इन्हीं पंक्तियों के संदर्भ में बच्चन जी की अमर पंक्तियां हैं –
रात आधी हो गई है!
जागता मैं आँख फाड़े,
हाय, सुधियों के सहारे,
जब कि दुनिया स्वप्न के जादू-भवन में खो गई है!
रात आधी हो गई है!
सुन रहा हूँ, शांति इतनी,
है टपकती बूंद जितनी
ओस की, जिनसे द्रुमों का गात रात भिगो गई है?
रात आधी हो गई है!
दे रही कितना दिलासा,
आ झरोखे से ज़रा-सा,
चाँदनी पिछले पहर की पास में जो सो गई है!
रात आधी हो गई है!
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दिल छूने वाली कविता है थे .?आपने बच्चन जी की कविता की चर्चा की . यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है . बहुत आभार .
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बहुत बढ़िया
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आभार !!!!
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