ज़िंदगी तिलस्म

ज़िंदगी और लोगों को समझने की कोशिश में

सारी ज़िंदगी निकल गई .

और जब कुछ समझ में आया तब लगा

ना समझा होता तो अच्छा था .

राज जांने की ख़्वाहिशों

में नाराज़ ज़्यादा हुए .

अजब तिलस्म है यह ज़िंदगी .

6 thoughts on “ज़िंदगी तिलस्म

  1. वाह क्या खूब कहा। कितना अच्छा था जब हम नादान थे। ज्यादा जानने की कोशिश प्यासा बना दिया।

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