ज़िंदगी और लोगों को समझने की कोशिश में
सारी ज़िंदगी निकल गई .
और जब कुछ समझ में आया तब लगा
ना समझा होता तो अच्छा था .
राज जांने की ख़्वाहिशों
में नाराज़ ज़्यादा हुए .
अजब तिलस्म है यह ज़िंदगी .

ज़िंदगी और लोगों को समझने की कोशिश में
सारी ज़िंदगी निकल गई .
और जब कुछ समझ में आया तब लगा
ना समझा होता तो अच्छा था .
राज जांने की ख़्वाहिशों
में नाराज़ ज़्यादा हुए .
अजब तिलस्म है यह ज़िंदगी .

So nice
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Thank you Rupam.
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Relatable. 👍👍👍
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Really, it’s nice to know. Thank you 😊
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वाह क्या खूब कहा। कितना अच्छा था जब हम नादान थे। ज्यादा जानने की कोशिश प्यासा बना दिया।
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बिलकुल धन्यवाद मधुसूदन.
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