जिंदगी के रंग -105

मौत जीवन खत्म करती है,

रिश्ते नहीं।

किसी की धङकनों को ,

दूसरों के दिलों

में धड़कतीं यादें में संजो जाती है

मौसमी फूलों की तरह।

जो केवल एक मौसम जीते है।

पर फ़िज़ा में ख़ुशबू बिखेर जातें हैं।

मृत्यु जीने का एक तरीका है,

किसी की यादों में ।

4 thoughts on “जिंदगी के रंग -105

  1. जिसने प्रातः आँखें खोलीं,
    उसको नमन, प्रणाम ..
    स्मृति – विस्मृति का स्वामी जो,
    उसको नमन, प्रणाम ..
    जिसने चलते रखा है ढाँचे में, प्राणों को अभिराम उसको नमन प्रणाम ..
    शाश्वत मिथ्या, सत्य शाश्वत ; में कर सकूँ विभेद जिसने इतनी चेतना डाली, उसको नमन प्रणाम .. होंगे तथ्य इतर बहुतेरे, परे समझ से मेरे
    जिसने इतनी समझ भी डाली, उसको नमन प्रणाम .. लाभ-हानि तज, उचित- अनुचित का, भान कराया जिसने मन को
    उसे प्रणाम, नमन प्रणाम..

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