बहुत सूक्ष्म और हृदयंगम करने योग्य बात है यह रेखा जी । प्रेम के दर्शन को अधिकांश प्रेम करने वाले तक नहीं बूझ पाते, प्रेम न करने वालों की तो क्या बात की जाए । आपकी अनुमति लेते हुए इस संदर्भ में संत कबीर की शताब्दियों पुरानी दोहावली प्रस्तुत कर रहा हूँ :
हमन हैं इश्क़ मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ?
रहें आज़ाद या जग में, हमन दुनिया से यारी क्या ?
जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते,
हमारा यार है हम में, हमन को इंतज़ारी क्या ?
खलक सब नाम अपने को, बहुत कर सिर पटकता है,
हमन हरिनाम साँचा है, हमन औरों से यारी क्या ?
न पल बिछुड़े पिया हमसे, न हम बिछड़े पियारे से,
उन्हीं से नेह लागा है, हमन को बेक़रारी क्या ?
कबीरा इश्क़ का नाता, दुई को दूर कर दिल से,
जो चलना राह नाज़ुक है, हमन सर बोझ भारी क्या ?
पहले तो आपको आभार कि आप मेरे post पर अपने विचार इतने सुंदर शब्दों में देते हैं।
आप की बात सही है , रुमी का यह उद्धरण वास्तव में गहरा है। लोग लौकिक अौर आलौकिक प्रेम के अंतर को नहीं समझने के कारण मैं….तुम….हम.. जैसी बातों मे उलझ जाते हैं।
संत कबीर के अतुलनिय दोहों की चर्चा बङी अच्छी लगी। इनकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है। पर एक बात मुझे हमेशा खलती है- कबीर के दोहों का सुंदर English अनुवाद।
ज्यादातर अनुवाद अक्षरश: हैं।
Rumi is my fav poet… 🙂
thanks for sharing this
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welcome . 🙂
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🙂
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he is my favourite n guide too. 🙂
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बहुत सूक्ष्म और हृदयंगम करने योग्य बात है यह रेखा जी । प्रेम के दर्शन को अधिकांश प्रेम करने वाले तक नहीं बूझ पाते, प्रेम न करने वालों की तो क्या बात की जाए । आपकी अनुमति लेते हुए इस संदर्भ में संत कबीर की शताब्दियों पुरानी दोहावली प्रस्तुत कर रहा हूँ :
हमन हैं इश्क़ मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ?
रहें आज़ाद या जग में, हमन दुनिया से यारी क्या ?
जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते,
हमारा यार है हम में, हमन को इंतज़ारी क्या ?
खलक सब नाम अपने को, बहुत कर सिर पटकता है,
हमन हरिनाम साँचा है, हमन औरों से यारी क्या ?
न पल बिछुड़े पिया हमसे, न हम बिछड़े पियारे से,
उन्हीं से नेह लागा है, हमन को बेक़रारी क्या ?
कबीरा इश्क़ का नाता, दुई को दूर कर दिल से,
जो चलना राह नाज़ुक है, हमन सर बोझ भारी क्या ?
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पहले तो आपको आभार कि आप मेरे post पर अपने विचार इतने सुंदर शब्दों में देते हैं।
आप की बात सही है , रुमी का यह उद्धरण वास्तव में गहरा है। लोग लौकिक अौर आलौकिक प्रेम के अंतर को नहीं समझने के कारण मैं….तुम….हम.. जैसी बातों मे उलझ जाते हैं।
संत कबीर के अतुलनिय दोहों की चर्चा बङी अच्छी लगी। इनकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है। पर एक बात मुझे हमेशा खलती है- कबीर के दोहों का सुंदर English अनुवाद।
ज्यादातर अनुवाद अक्षरश: हैं।
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Nice
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thank you so much 🙂
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BEAUTIFUL
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thank you 🙂 akankshaagr.
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most welcome.
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I love your short thoughts. Short, to the point and inspirational.
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thank you 🙂
Mostly i try to write compact Lines. 🙂 thats why i prefer to call them – Chand panktiya / चंद पंक्तियाँ ।
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Chand Panktiya sounds awesome. What does it mean?
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Thank you 😊 It means – Few lines.
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Love to Rumi was everything that mattered to release the Soul. Lovely words of purity, Rekha.
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thank you 🙂 dear.
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Welcome Rekha.
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One for all…..#rumi
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yes, indeed.
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Nice one
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thank you Daneel.
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Welcome mam
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True
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Thank you.
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Rumi is my fav .
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i like his verses too.
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