ठोकर

वक्त ने गुजरते-गुजरते

पलट कर पूछा –

जब भी होते हो खुश या दुखी ,

कहते हो – यह वक्त गुजर जायेगा।

फिर मेरे गुजरने पर याद क्यों करते हो?

हमने कहा, क्योंकि

तुम्हारी ठोकरों ने  हमें तराशा है………………

41 thoughts on “ठोकर

  1. तुम आते हो,
    गम या खुशी लेकर,
    अपने हिसाब से रुकते,
    और चले जाते हो,
    कभी गुदगुदाते,
    कभी तुम रुलाते,
    जाने से पहले सीखा जाते हो,
    जीवन है क्या ये बता जाते हो,
    सच है तुम्हारा,
    गति तेज है,
    नहीं वक्त तुमसा,
    कोई नेक है,
    तेरी ठोकरे भी सीखा जाती है,
    जीवन है क्या ये बता जाते हो,

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    1. मैं आपके जवाब की fan हो गई। बेहद लाजवाब !!! कविता में कविता की प्रशंसा ।।।।।।

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  2. बहुत ही बढ़िया लिखा आपने —-पढ़कर अचानक शब्द कविता का रूप ले लिए।बहुत खूब।वक्त किसी का इंतजार नही करता मगर वक्त सा कोई किसी से प्यार नही करता

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    1. आप तो काव्य में हीं बातें कर रहें हैं। काव्यमय उत्तर मन को छू गई। बहुत आभार। 🙂

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