
नारी जब तक अबला हो, दुनिया के बनाये नियमों को
बिना प्रश्न किये मानती जाये,
अच्छी लगती है, भोली लगती है।
सीता अौर सावित्री लगती है।
अगर भूल से भी प्रश्न करे, या ना माने
तब कहते हैं- चरित्रहीन, पागल अौर ना जाने क्या-क्या।
सही कहा है, ये बातें अौर हथियार पुराने हो गये।
नई बात तो तब होगी, जब उसे सम्मान अौर बराबरी मिले,
ईश्वर की सर्वोत्म सुंदरतम रचना को ,
आधी आबादी को पीछे छोङ कितना आगे जायेगें हम?
images from internet.
नारी को पुरुषों ने अक्सर अपने पाँव की जूती और अपना गुलाम समझा है, पर शायद वो ये भूल जाते है की अगर नारी ना होती, तो वो भी ना होते।
आपकी बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति, और आज ही मैं नारियोँ को 2 पंक्ति समर्पित करना चाहूँगा-
“लोग मुझे दबाने चले थे मिट्टी में,
पर वो भूल गए की मैं एक बीज हूँ,
एक दिन पेड़ का आकार लेकर उभरूँगी।।
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।
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मुझे एक बात पूछनी है यँहा अपने “सीता” लिखा है, शायद लिखने में गलती हुई है आप “सती” तो नही लिखना छह रही थी।
मुझे माफ़ करियेगा अगर मुझे गलत लगा हो तो।
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नारी को पुरुषों ने अक्सर अपने पाँव की जूती और अपना गुलाम समझा है, पर शायद वो ये भूल जाते है की अगर नारी ना होती, तो वो भी ना होते।
आपकी बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति, और आज ही मैं नारियोँ को 2 पंक्ति समर्पित करना चाहूँगा-
“लोग मुझे दबाने चले थे मिट्टी में,
पर वो भूल गए की मैं एक बीज हूँ,
एक दिन पेड़ का आकार लेकर उभरूँगी।।
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वाह !!! बहुत सुन्दर पंक्तियाँ लिखी हैं आपने। आप जैसे युवा सोंच के वजह से समाज में नारियों की दशा में सुधार आ रहा है। बस यह गतिमान रहे। बहुत धन्यवाद कविता के बारे में अपने विचार बताने के लिये।
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पुरुष सिर्फ मदद कर सकता है, पर पहल नारी को ही करनी होगी।
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महिलाओं में आत्मविश्वास की ज़रूरत हैं. जो धीरे धीरे ही आयेगा. किसी ने मुझसे कहा – मध्यम वर्गीय मानसिकता से रातोंरात नहीँ निकला जा सकता हैं. यह बात मुझे भी सही लगती हैं.
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me bhi is baat se sehmat huun…
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मुझे एक बात पूछनी है यँहा अपने “सीता” लिखा है, शायद लिखने में गलती हुई है आप “सती” तो नही लिखना छह रही थी।
मुझे माफ़ करियेगा अगर मुझे गलत लगा हो तो।
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आपका प्रश्न अच्छा लगा। मैं ने सीता लिखा है, क्यौंकि वे भी राम द्वारा लोगों की बातों के कारण परित्यगी गई थीं।
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हाँ, मुझे रामायण की 2 बातें बहुत गलत लगती है, एक ये राम जी द्वारा दूसरे की बात सुनकर त्यागा जाना और दूसरी एक पंक्ति है, मुझे सही से याद नही है, पर हिंदी में लिख देता हूँ-
की जानवर ढोल और औरत मारकर ही समझते है बात को।
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ढोर , गवँर , पशु , शूद्र और नारी. सब ताडन के अधिकारी. रमायण की यह चौपाई controversial हैं. यह बिलकुल तर्क और न्याय संगत नहीँ हैं.
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हाँ इसी की बात कर रहा था।
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😊
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पर हमारे यहाँ यह भी तो कहा जाता हैं – ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता’./ जहाँ नारी की पूजा होती हैं वहाँ देवता निवास करते हैं.
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ji… naari shakti ka smman krna seekhna hoga kuch logon ko.
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एक राजा होने के नाते उनकी प्राथमिकता सबसे पहले प्रजा थी। इसीलिए उन्हें मजबूरन ऐसा करना पड़ा। आज भी हम एक ऐसे नेता को पसंद करते हैं जो पहले जनता पर ध्यान दे बाद में परिवार पर।
पहले मुझे भी लगता था राम द्वारा ली गई अग्नि परीक्षा गलत था।
यह लोगों में गलत धारना फैल गई है। हमें इसे सही करना होगा।
राम ने एक महान पति का रोल निभाया, अगर ऐसा नहीं होता तो वे उन्हें लंका से वापस लाने के लिए इतने बड़े युद्ध नहीं करते। वे महान सम्राज्य के राजा थे। वे चाहते तो उन्हें कई सुन्दर स्त्री विवाह का प्रस्ताव मिल सकता था।
मैं बड़ प्रभावित हुए आपके कार्य को लेकर। आप 2014 से blogging कर रही हैं मैम! ये बहुत बड़ी बात है। 👍
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तुम्हारे प्रश्न और चर्चा हमेशा मुझे अच्छे लगते हैं और प्रभावित करते हैं.
मेरे ख़्याल में राजा को प्रजा में महिला सम्मान का संदेश देना भी अति आवश्यक है. क्या नारी के बिना किसी अच्छे समाज की कल्पना की जा सकती है? वह समाज आज का हो या राम राज्य.
सीता ने हर क़दम पर राम का साथ दिया. वे चाहतीं तो वनवास के दौरान महलों में सुख भरी, सुरक्षित ज़िंदगी जी सकतीं थीं. उनके बलिदान का यह पुरस्कार क्या उचित है ? वह भी किसी के व्यंग की वजह से ? राम चाहते तो जनता की इस ओछी बात को सदविचारों में बदलने की कोशिश कर सकते थे सीता जी के प्रति आस्था और विश्वास दिखा कर . तब तो राम राज्य का प्रभाव कहलाता .
परम (तुम्हारा नाम सही लिखा ना ? या परमा सही है )
तुमने मेरी इतनी पुरानी कविता को इतने ध्यान से पढ़ा. यह मेरे लिए ख़ास बात है. बहुत शुक्रिया .हाँ , मैं २०१४ से ब्लॉग लिख रहीं हूँ . यह मेरे विचारों और अभिव्यक्तियों का ख़ज़ाना है.
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☺️☺️ नहीं-नहीं ऐसा मुझे नहीं लगता। बिल्कुल एक राजा का यह कर्तव्य है। पर उसी प्रजा के कारण उन्हें मजबूरन ऐसा करना पड़ा। क्योंकि यह उनका व्यकितगत मामला था। अगर वो स्त्री उनकी पत्नी नहीं होती तो सायद सजा कम कर दिया जाता। मै एक लिंक दे रहा हूं। सायद हम इसे और बेहतर से समझ सकते है।- https://youtu.be/s8BhNGvJaJk
वैसे तो मैं आधिकारिक(certificated) रुप से परमानंद कुमार नाम से दर्ज हूँ। पर संक्षिप्त के लिए ‘परमा’।
वैसे परम भी अच्छा है।😊 कुछ मुझे इसी नाम से पुकारते हैं। आप भी इसी नाम से बुलाये।
😊💐
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इस video को share करने के लिए बहुत आभार परम. मैं सदगुरु से बहुत प्रभावित हूँ और उनकी बातें मुझे बड़ी अच्छी लगीं.
सबसे पहले मैं तुम्हें यह बता दूँ कि हम लोग बेहद संवेदनशील मुद्दे पर बात कर रहे हैं।इस मामले में सबके अपने अपनेविचारहै।मेरे विचार सामान्य विचारों से थोड़ा अलग है।
अगर ram को bhagwan Ram और मर्यादा Purshottam की nazar से देखा जाए तब उनकी कोई भी आलोचना उचित नहीं ठहरती है। पर अगर सीताजी की तक़लीफ एक आम स्त्री के nazar देखी जाए। तब bhagwan Ram का स्त्री त्याग उचित नहीं nazar आता है।ramayan में सीता जी की बहन Urmila की स्थिति भी मुझे बेहद दुखद लगती है।वह अपने पति lakshman का 14 वर्ष अकेले इंतज़ार करती रही.
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☺️☺️ मैं तो फस गया। इतिहास को जितना उखेड़ोगे, उतना गंभीर बनता जायेगा।
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क्यों ?😊
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चर्चा करना तो बुद्धिमानी की पहचान है.
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☺️☺️
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मैम, blog को लेकर आगे क्या करु। कुछ लोगों से बात किया। सबने साझा करने के लिए सहमति दी। पर अगर मैं उनके हर पोस्ट फिर से साझा करता रहूँ तो ये copy write का मामला नहीं हो जायेगा। और सिर्फ सेयर करने से blog की beauty खराब लगेगी। और ऐसा मुझे कम आशा है कि लोग यहां आकर अपना समय दें। क्योंकि हर लोग अपनी एक ब्लॉग बनना चाहते हैं।
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param, blog ke bare में meri जानकारी बहुत सीमित है ।जो log इस तरह के blog चलाते हैं उनसे से बात करने देखो. शायद samajh आए.
मुझे लगता है कि log तब तुम्हारी मदद करना चाहेंगे जब तुम्हारा blog अच्छा चल रहा हो.
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हाँ, और जान लेते हैं। आपकी ये बात मुझे भा गई। कुछ ऐसा ही मैने jack ma(alibaba) के द्वारा यूट्यूब पर सुना।
“लोग आपसे तब जुड़ते हैं जब आप एक मुकाम पर है, तब नहीं जब आप शुरुआत में हो।”
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बहुत अच्छी बात है कि तुम YouTube par पर ऐसी प्रेरणात्मक बातें देखते हो. इस kaam को करने ke लिए तुम्हें technical जानकारी वाले किसी मित्र की भी ज़रूरत होगी. jo blog को इस तरह से design कर सके जैसा तुम चाहते हो.
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बिल्कुल, धन्यवाद आपके वक्त के लिए
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Its OK Param. धन्यवाद की ज़रूरत नहीं है. formality क्यों ? 😊
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हर व्यक्ति को अपने विचार रखना चाहिए।यह तो बौद्धिकता है की पहचान है. जो कह diya gaya उससेतोसब मान लेते हैं. जो उस par सोचता और मनन करता है वह ख़ास है .
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👍
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हाँ यह चौपाई विवादास्पद हैं.
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so very true!
bcoz our culture and traditions are such!
hope we end it bit by bit
those ideologies
and superstitions!
✌
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yes, the mind set of our society should be changed. our culture says women are DURGA N LKSHMI. but at the same time NIRBHYA incidents are also happening.
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1.) Qaabe pe gilaf is liye hai taki log yah jaan jaye ye koi aam ghar nahi hai ye khuda ka ghar hai adab or tehjib se paish aaye.
2.) Quraan pe gilaf is liye hai taki log yah jaan jaye ye wah kitaab hai jisko khuda ne apni hifajat me rakha hai ta-Qayamat yah mehfuj rahegi agar tum puri duniya me maujud quraan ko jala do ya use dafn kar do ya use dubo do tab bhi wo mitegi nhi qki uska har harf hafije Quraan ke sine me hai.
3.) Aurat par parda is liye hai taki logo ko yah ilm ho jaye ki ye aam aurat nahi hai – khuda kehta hai aye logo ye aam nahi hai ye sahjaadian hai apni nazre ba-adab or ba-haya se jhuka lo warna tumhe iska hisaab dena hoga.
4.) Ilm-Talim hasil karna har aurat or mard par farz hai or jo unhe ise hasil karne se rokega unhe iska hisaab dena hoga.
4.) tum agar kuch bhi khane pine ki saman ghar laao to sabse pehle larkiyon ko do kyoki wah sahjadi hai or khuda ki rehmat bhi.
5.) Aurat ka haq har chij par mard se pehle hai uski sampatti pe mard ka koi haq nahi par har aurat ka mard (bhai, sohar, pita, etc.) ki har sampatti pe adhikar hai or ye adhikar maine diye hai.
ye Quraan me kahi gayi bate hai agar ise sahi tarah se bayan karne me koi galti hui ho to Allah mujhe maaf kare
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लोगो को यह इल्म हो जाए तुम आम नहीं हो – ये शहाजदियाँ है अपनी नज़र बा-अदब या बा-हया से झुका लो !!!
बहुत खूब!!! बङी अच्छी बात आपने बताई। शुक्रिया।
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jaisa Quraan me hai waisa hi bayan kiya jab main chhota tha to abba hamesha jab bhi kuch late to meri chhoti or badi behno ko dete mujhe bahut gussa aata tha ki, to wo mujhe ye baat batate the ki kyo wah aisa karte hai jab main khud madarse jaane laga padhne laga to mujhe bhi iska ilm hua ab main kuch le ke jata hun to pehle ammi ko de deta hun fir wo sabko taksim kar deti hai
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बहुत बढिया . बड़ी खूबसुरत सीख है कुरान में. काश लोग लड़कियों और महिलाओं का ऐसे सम्मन करे.
बहुत अच्छा लगा आपसे ये बातें जान कर.
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mujhe is baat ki khushi hai ki apko mujhse kuch janne ko mila
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हाँ , मुझे भी इस बात की खुशी है. आपसे काफी नई बातें मालूम हुई.
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हर धर्म में सही बातें बताई गई हैं पर लोगो ने उसके अर्थ को अपने हिसाब से निकाल लिया अौर असल अर्थ कहीं छुप गया। बहुत धन्यवाद इसे share करने के लिये।
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bilkul sahi kaha apne ab jaise ki
Quraan me kaha gya hai ki ilm-talim hasil karna har Aurat or mard par farz hai yani aap use tyag nahi sakte lekin isse kuch muslim bhaiyon or behno ne yah matlab nikala ki sirf dharmik ilm or talim hasil karna hai jabki quraan me saaf saaf kaha gya hai waqt ke sath sab kuch badlega ilm or taalimaat bhi to isi se ye sabhit hota hai ki unhone har yug ke liye kaha hai.
tabhi to Quraan me Allah ne farmaya hai ki le aao isse behtar koi kitaab jisme sare raaz bayan kiye gaye ho jaise isme maine kiya hai tum iske kisi ek line ko bhi galat sabit kar ke dikhao.
Note:- Quraan duniya ki eklauti kitaab hai jo puri duniya ke logo ko chunauti deti hai khud ko galat sabit karne ki bahut se vidwaan iske liye aage aaye par wo sab ke sab asafal rahe
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बहुत अच्छा लगा आपसे ये बाते जान कर. कभी मैने भी कुरान पढ़ना शुरू किया था. पर ज्यादा पढ़ नहीँ सकी क्योंकि किसी और की कुरान थी, वापस करना था.
आपने ठीक कहा है. धर्मों या धर्मग्रंथों में सही ज्ञान ही है. पर कुछ लोगों ने उनके अपने अर्थ निकाल लिये.
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ha
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😊😊
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