लम्हों को गँवाते गँवाते
निकल गई उम्र-ए-रफ़्ता।
गर मिले फिर इत्तिफ़ाक़ से.
नज़्म बना जियेगें ज़िंदगी।
सही-गलत से दूर…मिलेंगे उस जगह….
जहाँ आत्मा, शरीर के लिबास में ना हो।
उम्र-ए-रफ़्ता – past life, गुज़री हुई उम्र
Out beyond ideas of wrongdoing and rightdoing there is a field. I’ll meet you there. When the soul lies down in that grass the world is too full to talk about. ❤ Rumi.
लम्हों को गँवाते गँवाते
निकल गई उम्र-ए-रफ़्ता।
गर मिले फिर इत्तिफ़ाक़ से.
नज़्म बना जियेगें ज़िंदगी।
सही-गलत से दूर…मिलेंगे उस जगह….
जहाँ आत्मा, शरीर के लिबास में ना हो।
उम्र-ए-रफ़्ता – past life, गुज़री हुई उम्र
रूमी की पंक्तियों आपको क्या कहतीं हैं? ज़रूर बतायें. आप सबों के विचार मेरे लिए बेहद मायने रखते हैं.
रूमी को मैंने कुछ साल पहले मायूसी के पलों में, गहराई से पढ़ना शुरू किया था. अब गीता, कबीर, रूमी, नानक और ढेरों संतों की बातों और विचारों में समानता पाया. इनकी पंक्तियाँ मुझे गहरा सुकून देतीं हैं.
जीवन के बाद के जीवन, को जानने की लालसा इतनी प्रबल है कि ,
मन व आत्मा को हमेशा खींचता है अपनी ओर.
जीवन के अंत से ङरे बिना।
उसमें अब एक लालसा और जुड़ गई है – किसी से मुलाक़ात की.
मिलेंगे फिर वहाँ, जहाँ एक और जहाँ… दुनिया हैं.
भीड़ और परखने वाली नज़रों से दूर…. सही ग़लत से दूर .
What did Rumi mean when he said:
Out beyond ideas of wrongdoing
and rightdoing there is a field.
I’ll meet you there.
When the soul lies down in that grass
the world is too full to talk about.
Rumi ❤️
Out
beyond ideas
of wrongdoing
and right-doing
there is a field.
I’ll meet you there.
❤ ❤ Rumi