प्रश्न बङा कठिन है।
दार्शनिक भी है, तात्त्विक भी है।
पुराना है, शाश्वत-सनातन भी है।
तन अौर आत्मा या कहो रुह और जिस्म !!
इनका रिश्ता है उम्रभर का।
खोज रहें हैं पायें कैसे?
दोनों को एक दूसरे से मिलायें कैसे?
कहतें हैं दोनों साथ हैं।
फिर भी खोज रहें हैं – मैं शरीर हूँ या आत्मा?
चिंतन-मनन से गांठें खोलने की कोशिश में,
अौर उलझने बढ़ जातीं हैं।
मिले उत्तर अौर राहें, तब बताना।
पूरे जीवन साथ-साथ हैं,
पर क्यों मुश्किल है ढूंढ़ पाना ?


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