हम ख़ुशियाँ चुनते रहे।
और ना जाने कब
ज़िंदगी नाराज़ हो गई।
सब कहते रहे …..
एक छोटी सी बात थी।
हम बात तलाशते रहे पर
ना जाने क्यों ज़िंदगी नाराज़ हो गई।

TopicByYourQuote
हम ख़ुशियाँ चुनते रहे।
और ना जाने कब
ज़िंदगी नाराज़ हो गई।
सब कहते रहे …..
एक छोटी सी बात थी।
हम बात तलाशते रहे पर
ना जाने क्यों ज़िंदगी नाराज़ हो गई।

TopicByYourQuote
जी लो ज़िंदगी, जैसी सामने आती है.
सबक़ लो उस से …..
क्योंकि ज़िंदगी कभी वायदे नहीं करती.
इसलिए उससे शिकायतें बेकार है.
और जिन बातों को हम बदल नहीं सकते.
उनके लिए अपने आप से शिकायतें बेकार है.
छोटी-छोटी खुशियां हीं बड़ी खुशियों में बदल जाती हैं
जैसे छोटी दिवाली….से बड़ी दिवाली ।

समय के साथ भागते हुए लगा – घङी की टिक- टिक हूँ…
तभी
किसी ने कहा – जरुरी बातों पर फोकस करो,
तब लगा कैमरा हूँ क्या?
मोबाइल…लैपटॉप…टीवी……..क्या हूँ?
सबने कहा – इन छोटी चीजों से अपनी तुलना ना करो।
हम बहुत आगे बढ़ गये हैं
देखो विज्ञान कहा पहुँच गया है………
सब की बातों को सुन, समझ नहीं आया
आगे बढ़ गये हैं , या उलझ गये हैं ?
अहले सुबह, उगते सूरज के साथ देखा
लोग योग-ध्यान में लगे
पीछे छूटे शांती-चैन की खोज में।
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