
चाँद ने सूरज को आवाज़ दे कर कहा –
ज़िंदगी की राहों में कुछ पाना,
कुछ खोना लगा रहता है।
कम ज़्यादा होना लगा रहता है।
भला या बुरा किया किसी के साथ,
उसका जवाब मिलता रहता है।
आवाज़ की गूंजें लौट कर है आती रहतीं हैं।
सागर और ब्रह्मांड का यह है फ़लसफ़ा।

चाँद ने सूरज को आवाज़ दे कर कहा –
ज़िंदगी की राहों में कुछ पाना,
कुछ खोना लगा रहता है।
कम ज़्यादा होना लगा रहता है।
भला या बुरा किया किसी के साथ,
उसका जवाब मिलता रहता है।
आवाज़ की गूंजें लौट कर है आती रहतीं हैं।
सागर और ब्रह्मांड का यह है फ़लसफ़ा।

खोने का डर क्यों? साथ क्या लाए थे।
क्या कभी बिना डरे जीने कोशिश की?
तब तो फ़र्क़ समझ आएगा।
इस जहाँ में आए, सब यहाँ पाए।
सब यही छोड़ जायें।
यही कहती है ज़िंदगी।
ग़र जीवन का अर्थ खोजना है।
एक बार ज़िंदगी की बातें मान
कर देखने में हर्ज हीं क्या है?
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