वर्षा की बूँदों को लिखने की ख़्वाहिश……
आकाश के काले मेघ से टपकते
बारिश की सुरीले संगीत ने
धरती के आँचल पर लिख
अपने आप पूरी कर दी .

वर्षा की बूँदों को लिखने की ख़्वाहिश……
आकाश के काले मेघ से टपकते
बारिश की सुरीले संगीत ने
धरती के आँचल पर लिख
अपने आप पूरी कर दी .

सुबह का ऊगता सूरज,
नीलम से नीले आकाश में,
लगता है जैसे गहरे लाल रंग का माणिक…..रुबी…. हो,
अंगूठी में जङे नगीने की तरह।
दूसरे पहर में विषमकोण में कटे हीरे
की तरह आँखों को चौंधियाने लगता है ।
सफेद मोती से दमकते चाँद के आगमन की आगाज़ से
शाम, पश्चिम में अस्त होता रवि रंग बदल फिर
पोखराज – मूंगे के पीले-नारंगी आभा से
रंग देता है सारा आकाश।
रंग बदलते सूरज
की रंगीन रश्मियाँ धरा को चूमती
पन्ने सी हरियाली से
समृद्ध करती हैं…
image courtesy google.
कालरात्रि सा सघन अँधेरा ,
आता है जीवन में हर रोज़ .
पर
आकाश के एक एक कर
बूझते सितारे,
करते है सूरज
औ भोर की
किरणों का आगाज …..
बस याद रखना है –
हर रात की होती है
सुहानी भोर !!!
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