कर्म

जब हौसला अफजाई कम

और व्यंग बाण ज़्यादा हो जायें,

मायने बुलंदियाँ क़रीब हैं।

लोगों की निगाहे उठने लगें,

पैर नीचे खिंचने वाले बढ़ जायें,

मायने आसमाँ क़रीब है।

जब दोस्तों से दुश्मन ज़्यादा हो जायें।

लोगों की निगाहों में चढ़ने लगो।

मायने फ़लक के सितारे क़रीब हैं।

बस सब्र रखो, क्योंकि हर किसी के,

कर्म का नतीजा ज़रूर सामने आता है।

ज्वार-भाटा

सागर के उतरते ज्वार से बाहर आ गया प्रांगण …शिवाला, सागर फिर समेट लेता है आग़ोश में, वापस लौट कर भाटे की लहरों में। जीवन की लहरों में ख़ुशियाँ और ग़म ऐसे हीं उभरते-डूबते….आते-जाते रहते हैं।

(गणपति और शिव, कर्टर रोड, मुंबई। ज्वार-भाटे के साथ हाई टाईड में यह स्वयंभू मंदिर सागर की लहरों में डूब जाता है। लो टाईड में साग़र की लहरों से बाहर आ जाता है।)