अपने-आप से

ग़र ख़ुशियाँ और सुकून चाहिए,

तब अपने-आप से ना लड़ो।

ना अपने-आप से हारो।

प्यार करो अपने आप से,

ईमानदार रहो, सच बोलो।

याद रखो,

तुम्हारे सब से अपने बस तुम ही हो।

बाक़ी सब तो परखते रहते हैं।

जैसे सोना परखा जाता है

कसौटी पर घस-घस कर।

जिससे तुम कुछ पाओगे नहीं।

काग़ज़ की कश्तियाँ

बारिश में काग़ज़ की कश्तियाँ तैराते बच्चे

कल दुनिया के समंदर में ग़ुम हो जाएँगें या

खुद विशाल सागर बन जाएँगें।

तितलियाँ पकड़ते नन्हे फ़रिश्ते

दुनिया में गुमनाम हो जाएँगे या

अपनी सफ़ल दुनिया सज़ायेगें।

बच्चों का बचपना बनता है उनकी ज़िंदगी।

ये बचपन का लम्हा पल में गुज़र जाएगा।

जैसा आज़ देंगे, कल वे वही बन,

वही लौटाएँगें।

Psychological fact- Childhood Emotional Neglect May Impact in negative ways Now and Later.