गीला मन

आँसू बहाते नयन और गीला मन,
गिलाओं को बह जाने देता है।
आँसुओं से धुल दिल का दर्द

हलका हो जाता है।
ये पानी के क़तरे नहीं,

जज़्बात के आईने होतें हैं।
अश्क़ और जज़्बात दबाए रखना,
सैलाब रोकना है।
बहा दिया,
तो ज़िंदगी फिर से

ख़ूबसूरत नज़र आने लगती है।

10 thoughts on “गीला मन

  1. भीतर की आँख सोच की ओर ध्यान खींचती है
    भीतर की दुनिया
    वास्तविकता का
    वो आत्मा
    अपनी सारी इंद्रियों के साथ
    विलोम
    रात और दिन के
    बाहरी दुनिया को
    स्पष्ट
    मनुष्य समय है
    अपने आप में
    परिमित समय
    सभी लोगों को अवश्य
    उनकी गतिविधियां
    में
    सपना
    और दिन में
    जाँच

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