गुलाब और नज़रिया

नजरिया है ज़िंदगी को देखने का.

क्या हमें चीज़ों से शिकायत है ?

या हम ख़ुशियाँ ढूंढना जानते हैं?

गुलाब में काँटे हैं ?

या काँटों में गुलाब ?

6 thoughts on “गुलाब और नज़रिया

    1. बिलकुल सही,है और हमारे देखने का भी नज़रिया है कि हम पहले कांटे को देखते हैं या पहले हमने gulaab की ख़ूबसूरती दिखती है. शुक्रिया शुक्रिया

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