ज़िन्दगी के रंग- 106

किताबे देखी

ग्लोब, मानचित्र देखे

ढेरों नक़्शे देखे .

कहीं नहीं मिला……

किसी एटलस में नहीं मिला,

खोई हुई ज़िंदगी का पता ………

12 thoughts on “ज़िन्दगी के रंग- 106

  1. ठीक ही तो है रेखा जी । कब मिली थी, कहाँ बिछड़ी थी, हमें याद नहीं; ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने ।

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      1. यह पंक्ति ‘उमराव जान’ फ़िल्म की ग़ज़ल – ‘जुस्तजू जिसकी थी, उसको तो न पाया हमने’ से है रेखा जी ।

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      2. Sorry, मेरी मूवी जानकारी कमजोर है। यह गाना दिल छूने वाला है सौर खूबसूरत भी। आभार।

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