फिर भी

मालूम है यह हसरत कभी पूरी नहीं होगी।

फिर भी ……..

अक्सर वहाँ जातें हैं,

जहाँ मिले थे।

नज़रें उठाते हैं

इस ख़्वाहिश के साथ –

शायद मुलाक़ात हो जाए ।

पर सब सूना सूना होता है ।

फिर भी………

अक्सर  वहाँ जातें हैं ,

दिल  मानता हीं नहीं……..

10 thoughts on “फिर भी

Leave a comment