कहते हैं –
ज्ञान इंसान को बेहतर बनाता है।
दर्द गायन को तराशती है।
पीङा आध्यात्मिकता….वैराग उत्पन्न करती है,
वेदना साहित्यकार को निखारती है,
व्यथा – कष्ट जीवन के नज़रिये को,
दंड-यंत्रणा भूल करने वालों को सुधारता हैं
अयोग्य राजनीतिज्ञ को क्या सुधारता है?


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