पतझड़ के सूखे पत्तों पर चलता हुआ
चाँद नभ पर उतर आया .
और आंखों में आँखे डाल पूछा –
नींद खो किस सोंच में हो ?
हमने कहा –
सच्चा विश्वास सच्चा साथ होता है क्या ?
हँस पड़ा चाँद –
हाँ मैं हूँ सारी रात तुम्हारे साथ .
सारी कथा व्यथा सुना डालो .
ना जाने कितने राज, अफसाने , दोस्ताने दफन है
सदियोँ से दिल में हमारे .
निभाता आ रहा हूँ .
यह तो आदत है हमारी .