इन परिंदों की उङान देख,
चहचहाना सुन ,
रश्क होता है।
कितने आज़ाद हैं……
ना बंधन, ना फिक्र कि …….
कौन सुनेगा ….क्या कहेगा…….
बस है खुली दुनिया अौर आजाद जिंदगी।
इन परिंदों की उङान देख,
चहचहाना सुन ,
रश्क होता है।
कितने आज़ाद हैं……
ना बंधन, ना फिक्र कि …….
कौन सुनेगा ….क्या कहेगा…….
बस है खुली दुनिया अौर आजाद जिंदगी।