जीवन के उजाले में
साथ निभाने वाले कई मिलते हैं
मज़ा तो तब है
जब अंधेरे में भी साथ बैठने वाला…..
साथ देने वाला कोई हो।
असल रौशनी तो तब दिखती है।
जीवन के उजाले में
साथ निभाने वाले कई मिलते हैं
मज़ा तो तब है
जब अंधेरे में भी साथ बैठने वाला…..
साथ देने वाला कोई हो।
असल रौशनी तो तब दिखती है।
बहुत खूब। सच कहा है आपने। 👌
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आभार रजनी जी 🙂
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यह तो सनातन सत्य है रेखा जी । इसी उक्ति को आधार बनाते हुए हिन्दी फ़िल्मों के अनेक गीत हैं । इस समय मुझे ऐसे दो गीत याद आ रहे हैं जो मुझे अत्यधिक प्रिय हैं । पहला किशोर कुमार जी और आशा भोसले जी का युगल गीत है : ‘जीवन के हर मोड़ पे मिल जाएंगे हमसफ़र; जो दूर तक साथ दे, ढूंढे उसी को नज़र’ । और दूसरा तलत महमूद जी और लता मंगेशकर जी का युगल गीत है : ‘ये मेरे अंधेरे उजाले ना होते अगर तुम ना आते मेरी ज़िंदगी में’ ।
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आपकी बात बिलकुल सही है। पर जीवन के कुछ अनुभव बारबार इस बात का स्मरण कराती रहतीं हैं 🙂
दोनो गीत बेहद मधुर हैं।
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Short and sweet
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thank you so much 🙂 Sreejith.
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VERY TRUE.
Sukh ke sab saathi dukh mein na koi
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vaah !!! bilkul sahi. 🙂
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thanks
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🙂
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Meaningful..
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Thank you 😊
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that is so true… ap ka writing style bahot aachha hai mam
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Thank you 😊 Samita.
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