ख़ुदकुशी

ashu777's avatarखानाबदोश


Simat ke saari taakat lau jal uthi..

Khudi ko aajmane ki koshish mein..

Chiragon ne khudkushi kar li…!!

-Ashfaq

View original post

13 thoughts on “ख़ुदकुशी

  1. शायद यह अमर शहीद अशफ़ाक़-उल्लाह ख़ान का शेर है । दिल को छू गया । इससे परिचित करवाने के लिए आभार आपका रेखा जी । इस पर प्रसिद्ध शायर डॉ॰ कुँवर बेचैन जी की एक ग़ज़ल मुझे याद आ गई जिसकी शुरूआत इस प्रकार है (यद्यपि संदर्भ अशफ़ाक़ साहब के शेर से भिन्न है) : ‘माना कि मुश्किलों का तेरी हल नहीं कुँवर, फिर भी तू ग़म की आग में यूँ जल नहीं कुँवर, कोई-न-कोई रोज़ ही करता है ख़ुदकुशी, क्या बात है कि झील में हलचल नहीं कुँवर’ ।

    Liked by 2 people

    1. मुझे भी यह शेर बहुत मार्मिक पर खूबसूरत लगी। इस लिये शेयर किया। चिराग की आखरी तेज़, भभक कर जलने वाली लौ की अर्थपुर्ण शायरी लाजवाब है।
      आपने डॉ॰ कुँवर बेचैन जी की बङी सुंदर ग़ज़ल की चर्चा की है। आपका आभार।

      Liked by 1 person

Leave a comment