वज़ूद

अक्स  या परछांई बन कर रह जाने से अच्छा है,

मन की शांती खोये बिना, अपनी पहचान बनाये रखना।

 

10 thoughts on “वज़ूद

  1. बहुत खूब, बिल्कुल ठीक कहा आपने,
    पर,

    काश कुछ लोगों से जिन्दगी की होड़ में इतनी जफ़ा ना होती,
    काश उनमे अक्स सी सच्चाई और परछांई सी वफ़ा भी होती |

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    1. धन्यवाद !! बहुत सुंदर पंक्तियाँ !!!!
      यह किसकी लिखी हुई है ? क्या इसे मैं अपने अपने ब्लॉग पर डाल सकती हूँ ?

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  2. जी शुक्रिया, लिखी तो मेरी हीं हुई हैं, आपकी पंक्तियों से प्रेरित होकर, और बिल्कुल डाल लीजिए, मेरे नाम के साथ, क्यूकी Shakespeare कुछ भी कहे, there’s ‘Something’ in a name after all.

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    1. बहुत आभार !!! बेहद खूबसूरत रचना है।
      नाम आपका मैंने खोजा, पर मिला नहीं। इसलिये मैनें आपका blog link ङाला है। अगर कुछ अौर add करना हो तो बता दिजिये। मैं ङाल दूँगीं।

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  3. धन्यवाद! , जानता हूँ नाम नहीं है, थोडा अजीब हूँ, लिखता हूँ पर लिखा नहीं जाना चाहता, फिर भी अगर “https://vainverselets.wordpress.com”, अगर इसे add कर देंगी तो मेहरबानी होगी |

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    1. नहीं अजीब नहीं हैं – लेखक अौर कवि हैं। यहाँ ऐसे अनाम लिखने वाले बहुत लोग हैं। इसमें क्या हर्ज है? 🙂
      आप मेरे post के TrueWonderer पर click करें । यह आपका link हीं है।

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