बस हम ही हम हों …..

रोहिंग्या  इस्लाम को मानने वाले  म्यांमार के अराकान प्रांत में रहने वाले लोग हैं।

The Rohingya people,  historically also termed Arakanese Indians  are a stateless,  Indo-Aryan people from Rakhine State, Myanmar.

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Rohingya

Rohinyang  India

 

दुनिया में बस हम ही हम हों …..

ये कैसी सोंच  है ??

कुछ कारण नहीँ समझ आता इसका .

धरती गगन ने ढेरों रंग दिये .

ईश्वर ने भी नहीँ सोचा – एक ही रंग में हो दुनिया.

फ़िर हम में इतनी निर्दयता -असहनशीलता क्यों ?

धर्म , रंग, भाषा , जाति …….के नाम पर ?

किसी को ख़त्म कर भी दिया तो क्या मिलेगा ?

किसने सही किया ?

ईश्वर ने विविधता दे कर या

मानव ने अपनी क्रूरता दिखा कर …..??

20 thoughts on “बस हम ही हम हों …..

  1. ईश्वर या कुदरत ने तो कुछ भी ग़लत नहीं किया है रेखा जी । ये भेदभाव और इनकी बुनियाद बनी मजहबी दीवारें तो इंसानों ने ही खड़ी की हैं । आज तो इंसान को इंसान मानने वाले ढूंढने मुश्किल हो गए हैं । हर जगह इंसानों को अलग-अलग फिरकों में बाँटा जा रहा है, सच पूछिए तो बाँटा जा चुका है । मुहब्बत करना गुनाह मान लिया गया है और नफ़रत करने की सब को खुली छूट मिल गई मालूम होती है । अब मुझ जैसे इंसानियत के तरफ़दार लोग तो बस इस शेर को ही याद करते हैं : बड़ी मुश्किल से ऐसे लोग मिलते हैं जमाने में जो गाफ़िल कहकहों में चश्म-ए-नम की बात करते हैं; वहीं है मरक़ज़-ए-काबा, वहीं है राह-ए-बुतखाना, जहाँ दीवाने दो मिलकर सनम की बात करते हैं ।

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    1. आपके विचार अौर शेर दोनों बहुत अच्छे लगे जितेन्द्र जी। दुनिया के हर कोने में यही हो रहा है. क्या आपस में लङ कर हम खत्म होना चाहते हैं?
      Iraq ,Venezuela ,Nigeria, Syria अौर ना जाने कितने देशों में ऐसा हीं कुछ ना कुछ चल रहा है। जिसमें इंसानियत नहीं दिखती है।

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