रिश़्ते

 

हाथ पकङना साथ नहीं होता
हाथ छूटना , संबंध टूटना नहीं होता।

अकेले रिश्ते निभाये नहीं जाते,
जैसे एक हाथ से ताली बजाई नहीं जाती।

एक दूसरे के लिये इज़्जत और ईमानदारी हो तो
रिश़्तों का निभाना अौर निभना
अपने आप हो जाता है……

58 thoughts on “रिश़्ते

      1. thanks a lot for expressing your view point. I would like to explain that i wanted to say the same thing —
        …अकेले रिश्ते निभाये नहीं जाते,
        जैसे एक हाथ से ताली बजाई नहीं जाती।

        एक दूसरे के लिये …..

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  1. शायद इन शब्दो में इस हद तक सच्चाई है कि मेरे पास तारीफ करने के लिए अल्फाज कम पड़ जाए। fabulous 👍

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  2. क्या खुब कहा.
    रिश़्तों का निभाना अौर निभना
    अपने आप हो जाता है……

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  3. सही बात है, ताली दो हाथोंसे ही बजती है, रिश्तोंमें एक दूसरे के प्रति इज्जत और ईमानदारी बहुत महत्त्वपूर्ण है।

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    1. बिलकुल . वरना ये रिश्ते जरूरतों के हिसाब से बनेगे . जिसमें सच्चाई नहीँ रहेगा . धन्यवाद सविता !!

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