स्वंयसिद्ध -कविता

क्या भविष्य को संजोने की लालसा

हमारी व्याकुलता अोर चिंता को बढ़ाती है?

नहीं, भविष्य के सपने सजाना

तो मनुष्य होने की

पहचान है।

यह व्यग्रता, उद्वेग तो

स्वंयसिद्ध , सर्वशक्तिमान   बन

भविष्य को नियंत्रित करने की कोशिश का परिणाम है…….