क्या भविष्य को संजोने की लालसा
हमारी व्याकुलता अोर चिंता को बढ़ाती है?
नहीं, भविष्य के सपने सजाना
तो मनुष्य होने की
पहचान है।
यह व्यग्रता, उद्वेग तो
स्वंयसिद्ध , सर्वशक्तिमान बन
भविष्य को नियंत्रित करने की कोशिश का परिणाम है…….
क्या भविष्य को संजोने की लालसा
हमारी व्याकुलता अोर चिंता को बढ़ाती है?
नहीं, भविष्य के सपने सजाना
तो मनुष्य होने की
पहचान है।
यह व्यग्रता, उद्वेग तो
स्वंयसिद्ध , सर्वशक्तिमान बन
भविष्य को नियंत्रित करने की कोशिश का परिणाम है…….